हां अगर आप पत्रकार हैं या पत्रकार बनने जा रहे हैं तो फेसबुक का ये पेज आपके लिए ही है। दरअसल ये हमारी नई संस्था " मैं हूं ना वेलफेयर सोसाइटी " समाज सेवा के और कार्यों के साथ ही अपने पत्रकार मित्रों के लिए भी संवेदनशील है। आज महसूस किया जा रहा है कि शहरी एवं ग्रामीण अंचलों में वैतनिक और अवैतनिक पत्रकारों के साथ लगातार दिल्ली, लखनऊ के बड़े पत्रकारों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जाए, जिससे पत्रकारों को लाभ होगा। इसके लिए राज्य स्तर, जिला स्तर, तहसील स्तर, शहर और ब्लाक स्तर पर पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण और कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इस पेज का लिंक ( https://www.facebook.com/profile.php? id=100006311055350 ) है।
पत्रकार साथी अन्यथा नहीं लेगें, पर राज्य और जिला स्तर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया की कार्यशाला लगाना हम बेहद जरूरी मानते है। कोशिश होगी कि इस कार्यशाला में इलेक्ट्रानिक मीडिया के बड़े संस्थानों के संपादक और वरिष्ठ पत्रकारों को कार्यशाला में शामिल किया जाए, इस कार्यशाला के जरिए कोशिश होगी कि पत्रकारों में संवेदनशीलता के साथ ही उन्हें समाज के प्रति और जिम्मेदार तथा जवाबदेह बनाया जाए, जिससे लोकतंत्र का ये चौथा स्तंभ ज्यादा मजबूत हो। पत्रकारों की इच्छा होती है कि उन्हें युद्ध, नक्सली हिंसा, साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान रिपोर्टिंग की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी मिले। इसके लिए विशेषज्ञ पत्रकारों के जरिए युद्ध, हिंसा, नक्सली हिंसा, सांप्रदायिक हिंसा के दौरान रिपोर्टिंग में बरती जाने वाली सावधानियों पर पत्रकारों को विशेष जानकारी देने की कोशिश की जाएगी।
अक्सर देखा गया है कि पत्रकार बनने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों जहां पत्रकारिता के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं, बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं प्रवेश लेते हैं, लेकिन उन्हें यहां सिर्फ किताबी ज्ञान ही मिलता है। ऐसे में जब वो पत्रकारिता में आते हैं तो काफी परेशानी होती है। इंटर्नशिप के दौरान कुछ ही बच्चों को अच्छे मीडिया संस्थान में अवसर मिल पाता है, इसलिए बाकी बच्चे पिछड़ जाते हैं। इसके लिए कोशिश होगी कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में खास कार्यशाला का आयोजन कर उन्हें व्यवहारिक पत्रकारिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए।
आखिर में पत्रकारों से संबंधित एक बात और .... जिला, तहसील, ब्लाक स्तर के पत्रकारों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निराकरण के लिए ठोस प्रयास किया जाएगा। किसी तरह की दुर्घटना में घायल पत्रकारों की सहायता करने के मकसद से जरूरतमंद पत्रकारों को दुर्घटना बीमा की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
नोट : यदि आप पत्रकार हैं, पत्रकारिता का कोर्स कर रहे हैं या फिर पत्रकारिता में किसी तरह की रुचि रखते हैं और आपके पास कोई सुझाव है तो आप यहां शामिल कर सकते हैं। हमारी कोशिश होगी कि हम आपके सुझाओं पर आगे बढ़ सकें।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (16-11-2014) को "मासूम किलकारी" {चर्चा - 1798} पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अच्छी पहल.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी के साथ सार्थक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी के साथ सार्थक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteacchi pahal....shubhkamnaayein
ReplyDeletebehad umda pAhal shubhkamnaayein....
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