आज मीडिया के लिए बड़ा दिन है, पहली बार ऐसा होगा कि किसी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक साथ शामिल हो रहे हैं। दरअसल इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम "आप की अदालत" ने शानदार 21 साल पूरे किए है, इसी दिन को यादगार बनाने के लिए INDIA TV ने एक भव्य समारोह का आयोजन किया है। अब इस आयोजन में जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत केंद्र सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री हिस्सा ले रहे हैं तो जाहिर है यहां मीडिया पर बात होगी, हो भी क्यों ना ! होनी ही चाहिए। कई बार सरकार की तरफ से मीडिया को नसीहत दी जाती है कि वो जिम्मेदार बने ! मुझे तो इसमें कोई बुराई नहीं लगती मीडिया को जिम्मेदार होना ही चाहिए।
पर बड़ा सवाल ये कि सूचना प्रसारण मंत्रालय की भी कोई जवाबदेही है या नहीं ? माननीय राष्ट्रपति जी और प्रधानमंत्री जी चूंकि आज की शाम मीडिया के बीच होंगे इसलिए एक सवाल करना चाहता हूं ? प्रधानमंत्री जी एक पत्रकार और प्रबंधन में सूचना प्रसारण मंत्रालय कितना भेद-भाव करता है ? क्या आपको इसकी जानकारी है? मैं जानता हूं कि आपको नहीं होगी, क्योंकि आपने इस मंत्रालय को गंभीरता से लिया ही नहीं। यही वजह है कि केंद्र कि ये पहली सरकार है जिसने सूचना प्रसारण मंत्रालय को फुल टाइम मंत्री तक नहीं दिया है।
आपको पता है एक पत्रकार जब प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो यानि पीआईबी की मान्यता लेने के लिए आवेदन करता है तो उसकी महीनों पुलिस जांच होती है। मसलन दिल्ली में जहां वो रहता है, उस थाने से पुलिस की रिपोर्ट ली जाती है, पत्रकार स्थाई रूप से जहां का निवासी है, वहां से पुलिस की रिपोर्ट मंगाई जाती है। मतलब एक कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद पत्रकार को पीआईबी की मान्यता मिल पाती है, लेकिन प्रधानमंत्री जी चैनल का डायरेक्टर बनने के लिए आपका मंत्रालय आंख मूंद लेता है, सारे नियम कायदे कीमती गिफ्ट के नीचे दब कर दम तोड़ देते हैं। इस मामले की पूरी जांच हो तो कई ऐसे मामले खुलेंगे, लेकिन एक मसले की जानकारी मैं आपको देता हूं।
मध्यप्रदेश में आपकी ही पार्टी यानि बीजेपी की सरकार है। वहां ग्वालियर की पुलिस ने एक घपलेबाज को ईनामी बदमाश घोषित कर रखा है। यानि इसकी खोज खबर देने वाले को पुलिस की ओर से 2000 रुपये का ईनाम दिया जाएगा। इस आदमी पर अन्य तमाम गंभीर धाराओं के अलावा धोखाधड़ी यानि 420 का अपराध भी पंजीकृत है। ये अलग बात है कि एमपी की पुलिस इसे गिरफ्तार करना ही नहीं चाहती ? वरना वो अब तक गिरफ्तार कर चुकी होती। बहरहाल पुलिस से बचने और उस पर रौब गांठने के लिए इस ईनामी बदमाश ने किसी की सलाह पर दिल्ली में एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल खरीद लिया। अब ये पैसे और चैनल की आड़ में सरकार को फिरंगी की तरह नचा रहा है।
मोदी जी ! हैरानी की बात तो ये है कि जिस कांग्रेस को आप पानी पी-पी कर भ्रष्ट बताते रहे हैं, उस कांग्रेस की सरकार ने इस ईनामी बदमाश को चैनल का डायरेक्टर बनने नहीं दिया। फाइल सालों से इधर उधर घूमती रही, लेकिन किसी मनमोहन की सरकार में कोई इसे डायरेक्टर बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। पर आपकी यानि बीजेपी की सरकार बनते ही ये अपराधी - भगोड़ा एक राष्ट्रीय चैनल का डायरेक्टर बन गया। चैनल का डायरेक्टर बनने के पीछे क्या डील हुई ? ये तो जांच का विषय है, लेकिन कहा ये जा रहा है कि जिस शहर का ये रहने वाला है, पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय जिस मंत्री के पास था वो भी उसी शहर के निवासी रहे है। वैसे हो सकता है कि मंत्री को पता भी न हो और नीचे के अफसरों ने पूरा खेल कर दिया हो।
बहरहाल ये तो जांच का विषय है, लेकिन जब सरकार के मंत्री मीडिया को जिम्मेदार बनने की नसीहत देते हैं, तब मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या मंत्रियों को शर्म नहीं आती ? मैं फिर आपको बताना चाहता हूं कि बहुत जरूरी है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय को फुल टाइम मंत्री दिया जाए, जिससे कोई अपराधी, भगोडा अय्याश किसी राष्ट्रीय चैनल का डायरेक्टर ना बन पाए, उसकी सही जगह जहां उसे रहना चाहिए यानि जेलने का इंतजाम किया जाना चाहिए। मैं इंडिया टीवी के कार्यक्रम के सफल होने की कामना करता हूं, मुझे उम्मीद है कि ऐसे मसलों पर प्रधानमंत्री गंभीर होंगे।
पर बड़ा सवाल ये कि सूचना प्रसारण मंत्रालय की भी कोई जवाबदेही है या नहीं ? माननीय राष्ट्रपति जी और प्रधानमंत्री जी चूंकि आज की शाम मीडिया के बीच होंगे इसलिए एक सवाल करना चाहता हूं ? प्रधानमंत्री जी एक पत्रकार और प्रबंधन में सूचना प्रसारण मंत्रालय कितना भेद-भाव करता है ? क्या आपको इसकी जानकारी है? मैं जानता हूं कि आपको नहीं होगी, क्योंकि आपने इस मंत्रालय को गंभीरता से लिया ही नहीं। यही वजह है कि केंद्र कि ये पहली सरकार है जिसने सूचना प्रसारण मंत्रालय को फुल टाइम मंत्री तक नहीं दिया है।
आपको पता है एक पत्रकार जब प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो यानि पीआईबी की मान्यता लेने के लिए आवेदन करता है तो उसकी महीनों पुलिस जांच होती है। मसलन दिल्ली में जहां वो रहता है, उस थाने से पुलिस की रिपोर्ट ली जाती है, पत्रकार स्थाई रूप से जहां का निवासी है, वहां से पुलिस की रिपोर्ट मंगाई जाती है। मतलब एक कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद पत्रकार को पीआईबी की मान्यता मिल पाती है, लेकिन प्रधानमंत्री जी चैनल का डायरेक्टर बनने के लिए आपका मंत्रालय आंख मूंद लेता है, सारे नियम कायदे कीमती गिफ्ट के नीचे दब कर दम तोड़ देते हैं। इस मामले की पूरी जांच हो तो कई ऐसे मामले खुलेंगे, लेकिन एक मसले की जानकारी मैं आपको देता हूं।
मध्यप्रदेश में आपकी ही पार्टी यानि बीजेपी की सरकार है। वहां ग्वालियर की पुलिस ने एक घपलेबाज को ईनामी बदमाश घोषित कर रखा है। यानि इसकी खोज खबर देने वाले को पुलिस की ओर से 2000 रुपये का ईनाम दिया जाएगा। इस आदमी पर अन्य तमाम गंभीर धाराओं के अलावा धोखाधड़ी यानि 420 का अपराध भी पंजीकृत है। ये अलग बात है कि एमपी की पुलिस इसे गिरफ्तार करना ही नहीं चाहती ? वरना वो अब तक गिरफ्तार कर चुकी होती। बहरहाल पुलिस से बचने और उस पर रौब गांठने के लिए इस ईनामी बदमाश ने किसी की सलाह पर दिल्ली में एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल खरीद लिया। अब ये पैसे और चैनल की आड़ में सरकार को फिरंगी की तरह नचा रहा है।
मोदी जी ! हैरानी की बात तो ये है कि जिस कांग्रेस को आप पानी पी-पी कर भ्रष्ट बताते रहे हैं, उस कांग्रेस की सरकार ने इस ईनामी बदमाश को चैनल का डायरेक्टर बनने नहीं दिया। फाइल सालों से इधर उधर घूमती रही, लेकिन किसी मनमोहन की सरकार में कोई इसे डायरेक्टर बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। पर आपकी यानि बीजेपी की सरकार बनते ही ये अपराधी - भगोड़ा एक राष्ट्रीय चैनल का डायरेक्टर बन गया। चैनल का डायरेक्टर बनने के पीछे क्या डील हुई ? ये तो जांच का विषय है, लेकिन कहा ये जा रहा है कि जिस शहर का ये रहने वाला है, पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय जिस मंत्री के पास था वो भी उसी शहर के निवासी रहे है। वैसे हो सकता है कि मंत्री को पता भी न हो और नीचे के अफसरों ने पूरा खेल कर दिया हो।
बहरहाल ये तो जांच का विषय है, लेकिन जब सरकार के मंत्री मीडिया को जिम्मेदार बनने की नसीहत देते हैं, तब मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या मंत्रियों को शर्म नहीं आती ? मैं फिर आपको बताना चाहता हूं कि बहुत जरूरी है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय को फुल टाइम मंत्री दिया जाए, जिससे कोई अपराधी, भगोडा अय्याश किसी राष्ट्रीय चैनल का डायरेक्टर ना बन पाए, उसकी सही जगह जहां उसे रहना चाहिए यानि जेलने का इंतजाम किया जाना चाहिए। मैं इंडिया टीवी के कार्यक्रम के सफल होने की कामना करता हूं, मुझे उम्मीद है कि ऐसे मसलों पर प्रधानमंत्री गंभीर होंगे।
uf kya kahen
ReplyDeleterachana
दिल्ली में फुल टाइम सूचना प्रसारण मंत्री के ना होने से अपराधी, पुलिस के भगोडे वगैरह राष्ट्रीय चैनल के डायरेक्टर बनते जा रहे हैं ?
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