आद. प्रधानमंत्री जी
भारत सरकार
नई दिल्ली
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विषय : न्यूज़ चैनल के इनामी बदमाश मालिक को हवाई जहाज उड़ाने का NOC कैसे मिला !
महोदय,
इलेक्ट्रानिक मीडिया की चकाचौध से नए मंत्री खुद को अलग नहीं कर पा रहे हैं। इस चक्कर में वे ऐसे काम को अंजाम दे रहे है जो आने वाले समय में काफी खतरनाक साबित होने वाला है। प्रधानमंत्री जी आपको पता है कि पांच - सात बड़े चैनल को अगर अलग कर दिया जाए तो बाकी के चैनल के संचालन का मकसद सिर्फ एक है। मसलन चैनल की आड़ में मालिक का गोरखधंधा चलता रहे। अब देखिए एक चैनल का संचानल चिट फंड का गोरखधंधा संचालित करने वाला एक व्यक्ति कर रहा है। इसने चिट फंड का काम करने वालों को भी चैनल का पहचान पत्र दे रखा है। इसी पहचान पत्र की आड में तमाम गरीबों को लूटा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान एक व्यक्ति पटना एयरपोर्ट पर लाखों रूपये के साथ पकड़ा गया । पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो पकडे गया आदमी चैनल की धौंस देने लगा, लेकिन पटना पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और पकड़ी गई रकम कोर्ट के सामने पेश कर दिया।
चैनल का संचालन करने वाले इसी आदमी के खिलाफ मध्यप्रदेश के ग्वालियर में धारा 420 यानि धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। काफी तलाश के बाद भी जब पुलिस इसे गिरप्तार नहीं कर पाई तो वहां कि पुलिस ने चैनल के इस मालिक को भगोड़ा घोषित कर दिया। भगोडा घोषित करने के बाद भी जब ये पुलिस के हत्थे नहीं लगा तो वहां कि पुलिस ने इस पर ईनाम घोषित कर दिया। अब ये दो हजार रुपये का ईनामी बदमाश घोषित है। वैसे तो ग्वालियर पुलिस ने कई बार इसके घर और आफिस में इसकी गिरफ्तारी के लिए टीमें भेजी हैं, पर सच्चाई ये है कि पुलिस का ही इसे संरक्षण हासिल है। क्योंकि चैनल का मालिक खुलेआम विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है, पुलिस इसे वाकई गिरफ्तार करना चाहती तो कब का गिरफ्तार कर चुकी होती। बहरहाल कई राज्यों ने इसके गोरखधंधे को समझ लिया है और इसकी सहयोगी संस्थाओं के सभी आफिसों पर ताला लगवा दिया है।
प्रधानमंत्री जी, चैनल के संपादक को मालिक की तरफ से तरह - तरह के फरमान सुनाए जाते हैं। ऐसे में बेचारे मूर्ख और बीमार संपादक के सामने दो ही विकल्प होता है, पहला ये कि वो आंख मूंद कर मालिक के गोरखधंधे को अंजाम देता रहे, दूसरा काम करने से मना करके घर बैठ जाए। (नोट : घर बैठने पर तो संपादक की पत्नी ही जान निकाल देगी, क्योंकि ये कंपनी संपादक की पत्नी को मंहगी साड़ियों का गिफ्ट देकर उनकी आदत बिगाड़ चुके होते है। इसलिए परिवार वाले भी संपादक से कहीं ज्यादा मालिक का कहना मानते हैं) लिहाजा संपादक ऐसे मालिकों की उंगली के इशारे पर नाचता रहता है।
प्रधानमंत्री जी मुझे याद है लोकसभा चुनाव के बीच में ही इस मूर्ख संपादक ने चैनल ज्वाइन किया था। इसे कत्तई भरोसा नहीं था कि देश में आपके नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने वाली है। मीटिंग के दौरान ये सरेआम बीजेपी और खासकर आपके लिए आपत्तिजनक टिप्पणी किया करता था। इसे लग रहा था कि जोड़ तोड करके किसी तरह कांग्रेस की ही सरकार बनने वाली है, इसलिए कांग्रेस बीट रिपोर्टर के साथ तमाम कांग्रेस नेताओं के यहां चक्कर लगाया करता था। आफिस की मीटिंग मे दावा करता था कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में ज्यादातर वो बातें शामिल हैं जो उसने कांग्रेस नेताओं को बताई हैं। बहरहाल चुनाव के रिजल्ट के बाद इसका माथा ठनक गया।
बहरहाल मालिक ने एक दिन संपादक को चैंबर में बुलाया और साफ-साफ कह दिया कि मुझे दिल्ली में एक गोष्ठी करनी है और इसमें बीजेपी के सभी कद्दावर नेता और मंत्री की मौजूदगी जरूरी है। मूर्ख संपादक को मौका मिल गया, इसने झट से कहाकि बीजेपी के सांसद और मंत्री कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पैसे की डिमांड कर रहे हैं। जानकार तो यहां तक बता रहे हैं कि पांच मंत्री और आधा दर्जन सांसद के नाम पर लगभग 45 लाख रुपये इस संपादक ने कंपनी से वसूल भी लिया। ये अलग बात है कि सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री की मौत हो जाने से ये कार्यक्रम नहीं हो पाया । खैर ये बातें पुरानी हो गई..
प्रधानमंत्री जी, अब मैं पत्र लिखने का मकसद साफ कर दूं। दरअसल अब चिट फंड कारोबारी चैनल का मालिक हवाई जहाज में उडने का दांव चल रहा है। इसके लिए उसने चैनल के संपादक समेत सभी कर्मचारियों को लगा रखा है और कहा है कि मुझे 15 दिन के भीतर नागरिक उड्डयन मंत्रालय से एनओसी और डीजीसीए से लाइसेंस चाहिए। बेचारे डाक्टर साहब आपके मंत्रिमंडल में नए नए मंत्री बने हैं। चर्चा है कि मूर्ख संपादक के दवाब में आ गए और उन्होंने आनन फानन में एनओसी की प्रक्रिया पूरी करा दी। वैसे सच तो वही लोग जानें, लेकिन कहा जा रहा है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कोई पैसा नहीं लिया, लेकिन जो लोग इस एनओसी में लगे हुए थे, वहां 25 लाख रुपये को लेकर जरूर मारामारी की खबर आ रही है।
प्रधानमंत्री जी नागरिक उड्डयन मंत्री जरूरत से ज्यादा शरीफ हैं, तमाम पत्रकारों को वो व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, अस्वस्थ पत्रकारों को निशुल्क इलाज तक देते रहे हैं। इसलिए सभी पत्रकारों की उन तक बहुत आसानी से पहुंच है। उनके सीधेपन का कुछ लोग नाजायज फायदा उठाने में लगे हैं। इसलिए इस एनओसी की एक बार फिर से समीक्षा की जानी चाहिए। देखा जाना चाहिए कि जिस व्यक्ति, संस्था, या समूह को ये एनओसी दी जा रही है वो आखिर हैं कौन ? उनके खिलाफ देश में कितनी जगह अपराध पंजीकृत है, इस व्यक्ति का गोरखधंधा और पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है ? प्रधानमंत्री जी मूर्ख संपादक तो कल को अलग हो जाएगा, लेकिन एक बार इसके चक्कर में कुछ भी गलत हो गया तो लोग सरकार को ही कटघरे में खड़ा करेंगे।
प्रधानमंत्री जी सूचना प्रसारण मंत्रालय को भी सख्त हिदायत देने की जरूरत है कि एक बार वो चैनल के मालिकों के बारे में गंभीरता से छानबीन करके पूरी रिपोर्ट इकट्ठा कर लें, ये भी देखे कि चैनल को किस पैसे से संचालिय किया जा रहा है। अभी के लिए इतना ही बाकी फिर ....
प्रधानमंत्री जी सूचना प्रसारण मंत्रालय को भी सख्त हिदायत देने की जरूरत है कि एक बार वो चैनल के मालिकों के बारे में गंभीरता से छानबीन करके पूरी रिपोर्ट इकट्ठा कर लें, ये भी देखे कि चैनल को किस पैसे से संचालिय किया जा रहा है। अभी के लिए इतना ही बाकी फिर ....
आभार
आपका
महेन्द्र
महेन्द्र
साहसी कदम---कलम में ताकत बहुत है,
ReplyDeleteकारगर भी है---कलम को शायरी से हटकर
मखमली ना होकर,चट्टानी होनी चाहिये.