लोकसभा चुनाव कल खत्म हो जाएगा, लेकिन इस चुनाव में मीडिया का जो दागदार चेहरा सामने आ रहा है, उस दाग को साफ करना मीडिया के लिए आसान नहीं होगा। अच्छा छोटे मोटे अखबार या फिर चैनल ओछी हरकत करें तो एक बार उसकी अनदेखी की जा सकती है, लेकिन जब देश का नंबर एक चैनल होने का दावा करने वाला कोई हिंदी चैनल ऐसी घटिया हरकत करता है तो पूरी मीडिया कटघरे में खड़ी हो जाती है। पिछले दिनों एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी और अरविंद केजरीवाल के बीच हुई बात चीत का एक टुकड़ा सामने आया था, इससे मीडिया पर तरह तरह के आरोप लगे, हालाकि इंटरव्यू के बाद हर नेता ऐसी बातें करता है, ये सामान्य बात है, लेकिन पत्रकार का जो रियेक्शन है वो ऐसा नहीं होता जैसा वाजपेयी का रहा। पूरा इंटरव्यू देखा है, लगा नहीं कि ये इंटरव्यू वाजपेयी कर रहे हैं, इसे अगर पेड इंटरव्यू कहा जाए तो गलत नहीं होगा ! वाजपेयी ने चैनल की जो किरकिरी कराई अभी उसकी चर्चा बंद भी नहीं हुई थी कि इसी ग्रुप की अंजना ओम कश्यप ने एक बार फिर चैनल की विश्वसनीयता पर कालिख पोत दी। ऐसा लगा कि चैनल का रिपोर्टर नहीं आप का कार्यकर्ता सवाल पूछ रहा है, लिहाजा छात्रों ने कश्यप पर कचरा फैंक कर अपना गुस्सा उतारा।
वैसे जिस समय ये हादसा बीएचयू में हुआ, मैं तो वहां मौजूद नहीं था, लेकिन जो तस्वीरें और सवाल सोशल साइट पर देख रहा हूं, उससे इतना तो साफ है कि अंजना ने पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा का पालन नहीं किया। आइये अब हम आप को विस्तार से बताते हैं की बीएचयू कैंपस में आखिर हुआ क्या था। बताया गया कि अंजना बीएचयू कैंपस गई हुई थी, यहां उन्होंने पत्रकारिता की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से " आप " का प्रचार शुरू कर दिया। अपने सवालों के माध्यम से छात्रों को मोदी के ख़िलाफ़ भड़काने का प्रयास कर रही थी। छात्रों से उलटे सीधे सवाल पूछ रही थी, चलिए उनके सवाल भी सुन लीजिए।
१. अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में इतने भरी मतों से विजयी हुए थे, आप को क्यों लगता है की वो वाराणसी से नहीं जीत पाएंगे....?
२. जिस पार्टी में सीनियर नेताओं की इज्ज़त नहीं है ऐसी पार्टी को क्यों वोट देना चाहिए ?
३ नरेंद्र मोदी डर गए हैं क्या, इसलिए दो जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं?
४. अगर आप नरेंद्र मोदी को वोट देंगे तो क्यों देंगे ?
५. मोदी दो जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं अगर जीतने के बाद बनारस को छोड़ दिया तब क्या आप लोग ठगे महसूस नहीं करोगे ?
६. मोदी को क्यों वोट देंगे ? मोदी का मतलब क्या है ?
७. क्या हिंदुस्तान का मतलब हिंदुत्वा है ?
८. छात्रों को हड़का कर कह रही थी क्या आप लोग जानते हैं लोकतंत्र का मतलब क्या होता है ? लोकतंत्र का मतलब होता है चुनौती देना ।
इस सवाल और उनके तेवर से आप आसानी से समझ सकते हैं कि ये किसी जर्नलिस्ट का ना सवाल हो सकता है और ना ही तेवर। इस तरह के सवाल से ये संदेश जाना स्वाभाविक है कि आप पत्रकारिता नहीं कर रही हैं, बल्कि एक खास पार्टी के लिए माहौल बना रहे हैं। वैसे बनारस को कोई राजनीति नहीं सिखा सकता। यही वजह है कि यहां लोगों ने ईंट का जवाब पत्थर से देकर उन्हें निरुत्तर कर दिया। आप भी सुनिए छात्रों के जवाब ..
१. हम किसी ऐसे आदमी को वोट नहीं देंगे जो अपनी बातों से पलट जाता है ।
२. हम भगोड़े को वोट नहीं देंगे, दिल्ली में काम करने का मौका मिला तो भागे क्यों ?
३. मोदी विकास पुरुष हैं, वो अगर जीते तो बनारस का ही नहीं पूरे देश का विकास होगा ।
४. केजरीवाल को एक बार मौका मिला था दिल्ली में जहां वो पूरी तरह फेलियर रहे ।
५. लड़कियों ने कहा की हमें सुरक्षा सिर्फ मोदी दे सकते हैं...
६. केजरीवाल चुनाव में सिर्फ हारेंगे ही नहीं बल्कि चुनाव बाद उनकी पार्टी खत्म हो जाएगी ।
७. मोदी धर्म निरपेक्ष हैं
८. एक छात्र ने अंजना ओम कश्यप को यहाँ तक कह दिया की आप अपने पथ से भटक गयी हो
वैसे यहां पूरे कार्यक्रम के दौरान छात्र "हर हर मोदी घर घर मोदी का नारा लगा रहे थे। उनके नारा लगाने से शायद अंजना और खफा हो गईं और वो और आक्रामक होकर सवाल करने लगी, शायद ये बात छात्रों को ठीक नहीं लगी और वो अंजना को सबक सिखाने की सोचने लग गए। ये सिलसिला अभी चल ही रहा था तभी पास की बिल्डिंग के ऊपर से छात्रों ने अंजना की हूटिंग शुरू कर दी, इतना ही नहीं बाद में अंजना के ऊपर कचरा भी फ़ेंकने लगे । हालत ये हुई कि अंजना को अपना कार्यक्रम बीच मेंए ही बंद करना करना पड़ा। हालाकि मैं अंजना पर फैंके गए कचरे का सख्त विरोधी हूं, बीएचयू के छात्रों को संयम बरतना चाहिए था । मेरा मानना है कि अंजना सवाल चाहे जैसे भी पूछती जवाब तो छात्रों को देना था, वो अपना जवाब देते। दरअसल अंजना को लोग टीवी पर सुनते रहे हैं और सोशल मीडिया में तो उन पर पहले से ही पक्षपात का आरोप लगता रहा है। उनकी छवि एक निष्पक्ष एंकर की न होकर आप समर्थक की है। शायद छात्रों का गुस्सा पत्रकार पर नहीं पीत पत्रकारिता पर था।
बहरहाल जो हुआ, ये नहीं होना चाहिए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि मीडिया अगर बेईमान हो जाए तो आम जनता करे क्या ? मुझे तो लगता है कि अब मीडिया पर लगाम लगाने की वाली कोई संस्था जरूर होनी चाहिए। आत्मनियंत्रण का मौका सरकार ने दिया, लेकिन मीडिया ने वो मौका गवां दिया। अब नकेल कसे जाने की जरूरत है, जिससे कोई भी मीडिया हाउस गंदगी ना मचा सके।
VERY GOOD !!
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआखिर सच कब तक छिपेगा ...उसे तो सामने आना ही है
ReplyDeleteसही बात है
Deletebahut badhiya
ReplyDeleteजी आभार
Deleteaaj patrakarita ab tak ke sabse nichale paaydan par khadi hai ....agar nahi sambhali to apni vishvsneeyata poori tarh kho degi ...
ReplyDeletesateek aalekh
सच कहा , मुझे भी यही लगता है
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (26-03-2014) को फिर भी कर मतदान, द्वार पर ठाढ़े नेता- चर्चा मंच 1563 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार
Deleteविचारणीय मुद्दा उठाया है आपने ...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इंसान का दिमाग,सही वक़्त,सही काम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteप्रिय महेन्द्र जी .नमस्कार !
ReplyDeleteआप सवाल वो उठाते हैं ..जो आम आदमी के मन में होते हैं और आप जवाब भी वोही देते हैं जो आम आदमी सुनना चाहता है ...ये आपकी अच्छी बात है ..पर न्यूज़ चैनल कौन सा भरोसेमंद है ये आप ने कभी नही बताया जो आज कल आम आदमी के दिल में उठता है ...न हमें आपका पता है ..आप का अब कौन से चेनल से सम्बन्ध है ...कृपया बताएं ..ताकि उसका भी हम लाभ उठा सकें !आभार ......
सर नमस्कार
Deleteसभी चैनल लगभग एक से हैं, कोई कम कोई ज्यादा
लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे! राजनीति का रंग सब पर चढ़ जाता है यह बहुत बड़ी बीमारी हैं हमारे लोकतंत्र की ...
ReplyDeleteविचारणीय और जागरूक प्रस्तुति !!
बहुत बहुत आभार
Deleteजब उत्तर ही प्रश्न बनाकर पूछे जायें तो।
ReplyDeleteयही तो मुश्किल है
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