Saturday, 1 June 2013

धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया ?

देश में एक बार फिर मीडिया का गैरजिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला। आप सबको पता है कि आईपीएल 6 में क्या नहीं हुआ ? सट्टेबाजी हुई, स्पाँट फिक्सिंग हुई, खेल को प्रभावित करने के लिए लड़कियों की सप्लाई हुई, देश के करोंडो खेल प्रेमियों के आंख में धूल झोंका गया। इतने गंभीर अपराधों का खुलासा होने के बाद तो इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजने की बात होनी चाहिए थी। लेकिन देश का अपरिपक्व मीडिया श्रीनिवासन के इस्तीफे के लिए गिड़गिड़ाता रहा। एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है कि क्या बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला के इस्तीफा दे देने से सब कुछ ठीक हो जाएगा ? दो महीने से जो खेलप्रेमी हजारों रुपये का टिकट लेकर मैच देख रहे थे या जो लोग मैच के दौरान सारे काम छोड़कर टीवी से चिपके रहते थे, उन्हें जो धक्का लगा है, उसकी जवाबदेही किसकी होगी? इस्तीफा हो जाने के बाद मीडिया भी खामोश होकर किनारे बैठ जाएगा। मेरा मानना है कि मीडिया ने अगर सूझबूझ और जिम्मेदारी से अपना काम किया होता तो उसके कैमरे श्रीनिवासन के आगे पीछे नहीं घूमते, बल्कि देश के करोड़ों लोगों को सरेआम ठगने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के गृहमंत्री के पीछे कैमरा घूमता दिखाई देता।  मीडिया की मांग भी ये होनी चाहिए थी कि दर्शकों से वसूले गए टिकट के पैसे वापस किए जाएं और बीसीसीआई और आईपीएल से जुड़े अधिकारियों को जेल भेजा जाए।

मैं कई बार मीडिया खासतौर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठा चुका हूं। मेरा मानना है जल्दबाजी और अनुभवहीनता के चलते मीडिया बगैर जाने समझे कुछ भी शोर मचाने लगती है। हफ्ते भर से ज्यादा हो गया, ये सब एक प्राईवेट संस्था के अध्यक्ष से इस्तीफा मांग रहे है। मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि इस्तीफे से भला क्या हो जाएगा ? क्या  क्रिकेट को जो धक्का लगा है, क्रिकेट प्रेमियों के विश्वास को जो छला गया है, वो ठीक हो जाएगा ? चलिए मान लीजिए श्रीनिवासन ने इस्तीफा दे दिया और जेटली अध्यक्ष बन गए ! इससे क्या बदल जाएगा ? मुझे पक्का यकीन है मीडिया ने अगर इस विवादित, ढीठ, गैंडे की खाल ओढ़े श्रीनिवासन के बजाए केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट होकर ऐसा अभियान चलाया होता तो शायद आज क्रिकेट की तस्वीर बदल गई होती। देश भर के क्रिकेट प्रेमियों की आंख में जिस तरह से धूल झोंका गया और आईपीएल के मैंचो में सट्टेबाजी, फिक्सिंग हुई, ये एक संगठित अपराध की श्रेणी में है। इसमें खिलाड़ी, टीम के मालिक, अंपायर और बुकीज सब मिले हुए है। इन सबको जेल होनी चाहिए। लेकिन मीडिया यहां अपनी कम जानकारी की वजह से चूक गया, जिसका फायदा निश्चित ही बीसीसीआई को हुआ। मीडिया ने अपनी पूरी ताकत एक गैंडे जिसका कोई वजूद नहीं, उसके खिलाफ लगा दिया।

मैं ये भी जानता हूं एक दो दिन में श्रीनिवासन का इस्तीफा हो जाएगा। सभी न्यूज चैनल इसे अपनी जीत बताने लगेंगे। न्यूज चैनलों पर पहले मैं, पहले मैं की होड़ लग जाएगी। और इस  गंभीर मुद्दे की यहीं हत्या हो जाएगी। राजस्थान रायल्स की टीम के कुछ खिलाड़ी स्पाँट फिक्सिंग में धरे गए, उसके बाद बीसीसीआई ने उन पर दबाव बनाया कि वो भी खिलाड़ियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएं। बीसीसीआई के कहने पर राजस्थान टीम मैनेजमैंट ने अपने खिलाड़ियों के खिलाफ खुद भी रिपोर्ट दर्ज करा दिया। मेरा सवाल है कि चेन्नई सुपर किंग को बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन ने क्यों नहीं कहा कि वो अपने मालिक यानि गुरुनाथ मयप्पन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएं ? बस इसीलिए ना कि चेन्नई सुपर किंग के बाप जी यानि श्रीनिवासन खुद बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं ? आईपीएल का नियम है कि अगर किसी फ्रैंचाइजी का मालिक गलत काम में शामिल पाया जाता है तो उस टीम को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाना चाहिेए। चेन्नई टीम के मालिक मयप्पन को तो पुलिस ने गिरफ्तार तक कर लिया, फिर भी उसे आईपीएल में आज तक क्यों बनाए रखा गया ? मीडिया ने ये सवाल आज तक नहीं उठाया।

आजकल मीडिया नैतिकता पर बहुत जोर दे रही है। जिससे भी इस्तीफा मांगना होता है, उसे नैतिकता के कटघरे में खड़ा कर देती है और इस्तीफे की मांग शुरू हो जाती है। मैं कहता हूं कि नैतिकता अपेक्षा भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी से क्यों नहीं होनी चाहिए ? आपको इसकी वजह जाननी है तो मैं गिनाता हूं। भारतीय टीम के कप्तान धोनी बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन की कंपनी इंडिया सीमेंट में वाइस प्रेसीडेंट हैं। पहले वो एयर इंडिया में थे,  लेकिन श्रीनिवासन जब बीसीसीआई के अध्यक्ष बने और चेन्नई सुपर किंग टीम उन्होंने ली, तब धोनी एयर इंडिया से इस्तीफा देकर उनकी कंपनी से जुड़ गए । श्रीनिवासन के दामाद जो सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार है, उसका बयान है कि वो सट्टा लगाने से पहले धोनी से राय लिया करता था। इतना ही नहीं जिस सट्टेबाज विंदु दारा सिंह पर गंभीर आरोप लगा है कि वो सट्टेबाजी करता था, स्पाँट फिक्सिंग में उसका हाथ था, बुकीज के संपर्क में था, लड़कियों की सप्लाई करता था, वो विंदु धोनी और उनकी पत्नी का अभिन्न मित्र है। स्टेडियम में विंदु दारा सिंह भारतीय टीम के कप्तान धोनी की पत्नी साक्षी के साथ बैठ कर आईपीएल का मैच देख रहा था। मेरा सवाल है कि साक्षी क्यों विंदु दारा सिंह के साथ मौजूद थी ? वहां तो बहुत सारे सलेबिटीज मौजूद होते हैं, फिर विंदु ही क्यों ? क्या यहां नैतिकता का तकाजा नहीं है कि धोनी सफाई दें और जब तक मामले की जांच पूरी ना हो जाए वो कप्तानी छोड़ दें। छोटे मोटे खिलाड़ियों को पकड़ना और जेल में डालना आसान है, लेकिन धोनी जैसों पर हाथ डालने में सब सौ बार सोचते हैं। लेकिन बात नैतिकता की है तो धोनी भी नैतिक नहीं रह गया है।

मुझे लगता है कि अगर आज मीडिया ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया होता तो अब तक तस्वीर बदल चुकी होती। आप सब जानते हैं कि सरकार को देश के तमाम मंदिरों का अधिग्रहण करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। जैसे माता वैष्णों देवी, माता विंध्यवासिनी देवी, बाबा विश्वनाथ, तिरुपति बाला जी समेत सैकड़ों ऐसे मंदिर हैं, जिसका अधिग्रहण करने में सरकार को कोई हिचक नहीं रही। लेकिन बीसीसीआई जिसके खिलाफ बेईमानी के पुख्ता सबूत मौजूद है, उसके खिलाफ कार्रवाई में सौ बार सोचना पड़ रहा है। अगर सरकार में इच्छाशक्ति होती तो अब तक बीसीसीआई के मुख्यालय मुंबई में तालाबंदी हो चुकी होती। बीसीसीआई को भंग कर सरकार इसे अपने नियंत्रण में ले चुकी होती। लेकिन इसमें मुश्किल ये है कि बीसीसीआई में काग्रेस और बीजेपी के नेता ही नहीं बल्कि सरकार के सहयोगी दलों के भी तमाम नेता शामिल हैं। क्रिकेट एक ऐसा मामला है जहां हमाम में सभी नंगे हैं। बताइये गुजरात के मुख्यमंत्री जो बीजेपी से प्रधानमंत्री पद के लिए सशक्त दावेदारों में हैं, वो भी बीसीसीआई के आगे ऐसे दबे हुए हैं कि पूरे मामले में एक बार भी मीडिया के सामने नहीं आए। ऐसे नेता जब भ्रष्टाचार को लेकर आग उगलते हैं तो उनकी जुबान से बदबू आने लगती है। जेटली साहब की क्या बात है,  राज्यसभा में इनकी बड़ी-बड़ी बाते सुन लीजिए। लेकिन श्रीनिवासन के मामले में उसका तलुवा चाटते नजर आए। बिल्कुल बोलती बंद थी।

आपको पता है कि जब बात होती है कि बीसीसीआई को आरटीआई में शामिल किया जाए। यानि ये संस्था भी देश के नागरिकों के प्रति जवाबदेह हो। जो जानकारी आम आदमी चाहता है वो देने को बीसीसीआई मजबूर हो। इस पर कहा जाता है कि बीसीसीआई गैरसरकारी संस्था है, इसलिए इस पर आरटीआई नहीं लागू हो सकती। इन गैंडो से कोई पूछे कि इन पर सट्टेबाजी, स्पाँट फिक्सिंग, लड़कियों का शोषण ये सब इस्तेमाल करने की छूट है? आपको पता है कि खिलाडियों को अगर कोई सम्माम दिया जाता है तो उसकी प्रक्रिया क्या है ? मैं बताता हूं । देश में लगभग 40 खेलसंघ सरकार के खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है। पुरस्कार देने के लिए ये संघ ही खिलाड़ियों का नाम प्रस्तावित करते हैं, तभी खिलाड़ियों को पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार या अन्य राष्ट्रीय सम्मान मिलता है। लेकिन आज तक तमाम क्रिकेटर्स को राष्ट्रीय सम्मान मिल चुका है, कोई पूछे कि इनके नाम की सिफारिश किसने की ? पता चल जाएगा, यही विवादित बीसीसीआई इनका नाम भेजती है और हमारी सरकार उसे मान भी लेती है। मेरा सवाल है कि जब सरकार की बात मानने के लिए बीसीसीआई बाध्य नहीं है, तो इनके भेजे नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार भला कैसे दिए जा सकते हैं ? जवाब यही है कि हमाम में सब नंगे हैं।

सच कहूं ! बहुत सारी वजह हो सकती है जिससे बीसीसीआई पर नकेल कसी जा सके। लेकिन इस गोरखधंधे में लगभग सभी राजनीतिक दल के लोग शामिल हैं। इसलिए आज तक ये धंधा यूं ही चलता चला आ रहा है। दरअसल मीडिया की मजबूरी है, उसे लगता है कि देश में क्रिकेट बिकता है, इसलिए उसे क्रिकेट की खबरें दिखाना मजबूरी है। मै पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मीडिया ने श्रीनिवासन के इस्तीफे को लेकर जिस तरह की एकजुटता दिखाई है, अगर यही एकजुटता बीसीसीआई पर लगाम कसने को लेकर दिखाती तो अब तक इसमें काफी सुधार हो चुका होता। वैसे अब ये मुद्दा गरम है, मीडिया को यहां ईमानदार होना पडेगा, उसे भूल जाना होगा कि धोनी उन्हें इंटरव्यू देता है या नहीं, बीसीसीआई के अधिकारी उन्हें अपने पास बैठाते हैं या नहीं। निष्पक्ष होकर वो बात करनी होगी, जिससे क्रिकेटप्रेमी कभी निराश ना हों। अगर मीडिया को लगता है कि आईपीएल में चीयरगर्ल यानि महिलाओं का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, तो इसी तरह एकजुटता दिखानी होगी। वरना तो इस खेल में सट्टेबाजी, स्पाँट फिक्सिंग और लकडीबाजी यूं ही चलती रहेगी।






51 comments:

  1. इस गोरखधंधे में लगभग सभी राजनीतिक दल के लोग शामिल हैं। ,,

    RECENT POST : ऐसी गजल गाता नही,

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत आभार शास्त्री जी

    ReplyDelete
  3. मेरे विचार मे तो इस खेल पर ही प्रतिबंध लगा देना चाहिए , क्यूंकी यह ना केवल धन और समय की बर्बादी करता है बल्कि दर्शकों की भावनाओ को भी आहत करता है ..........
    बहुत सटीक आलेख लिखा आपने ...आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी कुछ समय तक तो वाकई प्रतिबंध होना चाहिए..
      आभार उपासना जी

      Delete
  4. हम तो कब से कह रहे हैं यह सारे नटक नौटंकी सिर्फ़ माल कूटने के लिये मिल जुल कर किये जा रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक है. और सबसे बडी शर्म की बात यह है कि अब सट्टा इस बात का है कि BCCI अध्यक्ष स्थिफ़ा देंगे या नही....इन्हें तो डूब मरना चाहिये.

    रामराम.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बिल्कुल सहमत हूं आपकी बातों से
      पैसा बनाने में ही लगे हैं सब
      आभार

      Delete
  5. mera vchar hai ki sarvpratham ise rajniti ki bedion se mukt kiya jay,fir stithiti pr nzr rakhi jay, aur agar sabluch dal me kala hi dikhe to thik karne sabh upayon ko aazma kar dekh lya jay varna antim viklp AAP KA SUJHV HI SAHI HAI

    ReplyDelete
    Replies
    1. सहमत हूं आपसे। लेकिन बीसीसीआई पर नियंत्रण जरूरी है।
      आभार

      Delete
  6. भाई
    एक ज्वलन्त प्रश्न...
    और इसके पीछे है..
    ऐय्याशी...
    पैसा...
    छपास...
    और...
    आगे पीछे घूमते चमचे
    और सबसे बड़े मूर्ख है..
    इसके दर्शक...
    जो अपने कीमती वक्त बरबाद करते हैं
    ये देखना छोड़ दें तो
    क्रिकेट का भविष्य शून्य हो जाएगा...
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बिल्कुल सही।
      हम तो सोचते हैं कि साफ सुथरा मैच देख रहे हैं, पर जब पता चलता है कि ये मैच स्क्रिप्टेड है, तो दुख होता है।
      आभार

      Delete
  7. दिसंबर १९२८ में कलकता क्रिकेट कल्ब की दूकान को अधिग्रहित कर बीसीसीआई के नाम से यह संस्था बनाई गई। और आज इस देश में क्रिकेट की एकछत्र ठेकेदार है। आज इस देश में क्रिकेट की जो भी स्थिति है, उसका लगभग सारा ही श्रेय इस संस्था को जाता है। इस संस्था के बारे में बहुत से रोचक तथ्य है, कुछ हालिया रोचक तथ्य यह है कि देश के ज्यादातर लोगो खासकर निठल्ली प्रवृति के लोगो में बड़ी कुशलता से क्रिकेट रूपी वायरस डालकर, मोटी टिकट कमाई से मालामाल इस संस्था को जब आरटीआई के दायरे में लाने की बात उठी तो इनके कर्ता-धर्ताओं द्वारा विरोध स्वरुप जो तर्क दिया गया वह था कि जी हम तो एक प्राइवेट स्वायत संस्था है, इसलिए हमें उसके दायरे में नहीं लाया जा सकता। इनके इस तर्क से जो सवाल उपजे वो और भी मजेदार है, मसलन जैसे क्या प्राइवेट संस्थाएं भी स्वायत हो सकती है इस देश में? क्या प्राइवेट स्वायत संस्थाओं को इसकदर कर में छूट भी दी जाती है इस देश में? जैसा कि इन्होने कोर्ट में दावा किया कि ये एक प्राइवेट संस्था है, इसलिए भारतीय कानूनों के प्रति जबाबदेह नहीं है, तो फिर क्या इतने बड़े इस देश के, जहां कुछ लोग इसे एक धर्म की तरह मानते है, के पूरे क्रिकेट तंत्र का ठेका इन्हें किसने दिया? और यदि ये इसके असली ठेकेदार हैं तो फिर ८६ साल बाद भी कुछ महानगरों तक ही इनके खिलाड़ियों के चयन की दुकाने सिमटी हुई है, देश के दूर-दराज के युवा प्रतिभावान खिलाड़ियों के जीवन से ये क्यों खिलवाड़ कर रहे है?

    खैर, अंत में यही कहूंगा कि हम हिन्दुस्तानियों की एक बुरी आदत है कि क्या राजनीति, क्या खेल, क्या व्यवसाय, जहां हमें मलाई खाने को मिल जाए, हम चिपककर बैठ जाते है। खुदा से यही दुआ करूंगा कि भले ही लोग नीलाम हो रहे हो, बिक रहे हो, लेकिन इन तथाकथित ठेकेदारों की पगड़ी इस अनंत सुख से बची रहे।

    ReplyDelete
    Replies
    1. नमस्कार, वाकई आपके कमेंट से कई अच्छी जानकारी मिली।
      आभार

      Delete
  8. क्रिकेट में यदि कोई वेवकूफ बनता है तो वह जनता .यह जानते हुए भी कि हर मैच किसी न किसी पकार फिक्स है और उसे सही मैच देखनो को नहीं मिलेगा फिर भी लोग पैसा और समय की बर्बादी करते हैं .यदि लोग टिकेट खरीदना बंद कर दें ,देखना बंद कर दें तो यह गोरखधंधे अपने आप बंद हो जायेंगे
    latest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
    अनुभूति : विविधा -2

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बात तो आपकी सही है, पर क्या करें क्रिकेट से लगाव जो है।
      आभार

      Delete
  9. साहेबान टीवी का त्याग किये अब ९ साल हो गए और क्रिकेट का बहिष्कार करते जमाना . जबसे अजय जडेजा, मोहम्मंद अजहरुद्दीन जैसे खिलाडियो को इस खेल की मर्यादा तोड़ते पाया है तब से दिल टुटा हुआ है. साउथ अफ्रीका के कप्तान में तो ये हिम्मत थी उन्होंने कबूल भी किया और अफ़सोस की वो सच्चाई का परचम लहराने के लिए साथ नहीं रहे पर इस देश में क्रिकेट को धर्म और खिलाडियो को भगवन को दर्ज देने वाले खेल प्रेमिओ को ऐसा धोखा देने वाले को ऐसा कुछ अहसास हो मुझे तो मुमकिन नहीं लगता . काफी समय पहले यह पढ़ा था की IPL के तमाम चक्र जैसे की खेल, विज्ञापन, प्रचार , प्रसार , खरीद फ़रोक्थ जिन लोगो के सर-परस्ती में चल रहे है वो आपस में रिश्तेदारी के धागों से जुड़े हुए है. अति किसी भी चीज़ की बुरी होती है। मेरी समज में नहीं आता की इस देश को कितना क्रिकेट देखना है ? कुछ खिलाडियो को छोड़ दे तो किसी भी औसत खिलाडी का क्रिकेट का युग दस साल से जयादा का नहीं होता .. ऐसे में वो क्या करे .. जिस खेल ने जयादा पैसा की हवस डाल दी उसे वो पूरा करने के लिए ऐसा कुछ क्यों न करे. क्योकि कुछ सालो बाद वो हासिये में वैसे ही चले जाने वाला है.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आपने, पर क्रिकेट सेलोगों का लगाव है जो उन्हें इस खेल से दूर नहीं होने देता। जबकि आखिर में क्रिकेट प्रेमी ही ठगे जाते हैं।

      Delete
  10. साहेबान टीवी का त्याग किये अब ९ साल हो गए और क्रिकेट का बहिष्कार करते जमाना . जबसे अजय जडेजा, मोहम्मंद अजहरुद्दीन जैसे खिलाडियो को इस खेल की मर्यादा तोड़ते पाया है तब से दिल टुटा हुआ है. साउथ अफ्रीका के कप्तान में तो ये हिम्मत थी उन्होंने कबूल भी किया और अफ़सोस की वो सच्चाई का परचम लहराने के लिए साथ नहीं रहे पर इस देश में क्रिकेट को धर्म और खिलाडियो को भगवन को दर्ज देने वाले खेल प्रेमिओ को ऐसा धोखा देने वाले को ऐसा कुछ अहसास हो मुझे तो मुमकिन नहीं लगता . काफी समय पहले यह पढ़ा था की IPL के तमाम चक्र जैसे की खेल, विज्ञापन, प्रचार , प्रसार , खरीद फ़रोक्थ जिन लोगो के सर-परस्ती में चल रहे है वो आपस में रिश्तेदारी के धागों से जुड़े हुए है. अति किसी भी चीज़ की बुरी होती है। मेरी समज में नहीं आता की इस देश को कितना क्रिकेट देखना है ? कुछ खिलाडियो को छोड़ दे तो किसी भी औसत खिलाडी का क्रिकेट का युग दस साल से जयादा का नहीं होता .. ऐसे में वो क्या करे .. जिस खेल ने जयादा पैसा की हवस डाल दी उसे वो पूरा करने के लिए ऐसा कुछ क्यों न करे. क्योकि कुछ सालो बाद वो हासिये में वैसे ही चले जाने वाला है.

    ReplyDelete
  11. आपका कहना अक्षरशः सत्य है ! हर कोई सवालों के घेरे में है और एक एक से इस्तीफे और जवाब मांगने के बजाय बीसीसीआई नामक इस रहस्यमय संस्थान पर अंकुश लगना चाहिए था ! और यही बात मैंने आज अपने आलेख में लिखी है जो आपने लिखी है ! में आपके इस ब्लॉग का इतने दिन से सदस्य नहीं होनें के कारण यहाँ तक आ नहीं पाया था ! जो आपने बताकर अच्छा किया !इसके लिए आपका आभार !!

    ReplyDelete
  12. आपका कथन उचित तो है ही साथ ही साथ एक तरह का प्रश्न भी है आखिर यह सब कब तक यूँ ही चलता रहेगा, धोखाधड़ी, भ्रष्ठाचार, अपराध यूँ ही बढ़ते रहेंगे. आप आपने कार्य के प्रति कितने सच्चे हैं यह आपकी इस पोस्ट से ही बता चल जाता है. आदरणीय काफी कुछ जिससे मैं अब तक अनभिज्ञ था यहाँ आकर पता चला. तथ्यों को उजागर करने हेतु एवं सभी के साथ साझा करने हेतु आपको हार्दिक बधाई.

    ReplyDelete
  13. lalach ne naitikta ki had paar kar dee ......bahut hi sargarbhit prastuti ....

    ReplyDelete
  14. यूँ ही चलता रहेगा !!सही कहा आपने जनता और मीडिया आँख बंद कर सहती रही तो यूँ ही चलता रहेगा कौन सा क्षेत्र पाक साफ़ छोड़ा है इन भ्रष्टाचारियों ने सच पूछो तो मैं जो कभी क्रिकेट के लिए पागल थी जब सबसे पहले मेच फिक्सिंग में अजरुद्दीन का नाम आया था उसके बाद से देखना छोड़ दिया बेवकूफ बनाते हैं जनता को क्यूँ वक़्त बर्बाद करें ऐसे खेलों में और ये सच है बड़ी मछली छोटी मछली को हर जगह निगलती आई है करता कोई है बलि का बकरा कोई और बनता है आपके आलेख कभी मिस नहीं करना चाहती है किन्तु कई बार बहुत व्यस्त होती हूँ तो बहुत अच्छे ब्लॉग पर भी जाने का वक़्त नहीं मिलता अच्छा किया आपने इस महत्वपूर्ण आलेख को शेयर किया हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  15. यूँही चलता रहेगा यह सब तमासा ! हम जान कर भी कुछ नहीं कर सकते ! बहुत ही शानदार तरीके से हमें इसके बारे में बताने के लिए धन्यवाद और एक धन्यवाद मेरे ब्लॉग पर आकर अपने विचार देने के लिए !

    ReplyDelete
  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

    ReplyDelete
  17. Replies
    1. हाहाहा, अब इतना बड़ा समझौता कैसे हो सकता है।
      आभार

      Delete
  18. पत्रकार .. रूपये मांगने के चक्कर में जेल गए ... नविन जिंदल ने उनपर केस किया था ....हो सकता है .. धौनी के पास कुछ ऐसे राज हो ... ह्जिन्हें बोलने पर या तो वे फंस सकते है .. या फिर दुसरे को बछाने में वो चुप है

    ReplyDelete
    Replies
    1. बिल्कुल सही कहा आपने.जिस मसले का आप जिक्र कर रहे हैं, इसी ब्लाग पर उसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा है।
      शुक्रिया

      Delete
  19. पूर्णतया सहमत बिल्कुल सही कहा है आपने .आभार . ''शादी करके फंस गया यार ,...अच्छा खासा था कुंवारा .'' साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

    ReplyDelete
  20. महेन्द्र जी .आपकी ये रिपोर्ट पढ़ कर और उसपर गोदियाल भाई जी की टिप्पणी पढ़ कर एक आम आदमी या एक क्रिकेट प्रेमी तो अपने आप को ठगा हुआ ही महसूस करेगा न ?और मुहं खुले का खुला ..........बकी
    अब किस की सदबुद्धि के लिए प्रार्थना करे ?????

    ReplyDelete
    Replies
    1. क्या बात है सर, आप बाहर रहकर भी ब्लाग पढ़ने का वक्त निकाल लेते हैं, वाकई अच्छा लगा। अभी वापसी हुई या नहीं।
      आभार

      Delete
  21. भाई जी आप जो भी आलेख लिखते हैं,विषय की जड़ तक जाकर लिखते हैं
    आपका पारदर्शी द्रष्टिकोण विषय की गंभीरता को पकड़कर चलता है
    यह विरले ही निभा पाते हैं
    आपको और आपकी लेखनी को साधुवाद

    वर्तमान में घटित घटनाओं(क्रिकेट)पर लिखा गया सारगर्भित,विचारपरक आलेख है
    आज क्रिकेट से बदबू आने लगी है
    समूचा क्रिकेट---सेक्स,साक्षी,श्रीनिवासन के इर्द-गिर्द घूम रहा है \
    बेवाक आलेख
    पारदर्शी रपट के लिये आभार


    ReplyDelete
  22. अंतत: ताऊ फ़िक्सिंग तेल की मेहरवानी से सब फ़िक्स हो गया है. जैसी की खबरें आ रही हैं शायद श्रीनिवासन स्थिफ़ा नही देंगे बल्कि मराठा लाबी की ऐसी तैसी करके सब जुगाड हो गया है.

    देखा ताऊ फ़िक्सिंग तेल का कमाल?:)

    रामराम.

    ReplyDelete
  23. ताऊ फ़िक्सिंग तेल ने आखिर सब कुछ फ़िक्स कर ही दिया, अब सिर्फ़ लीपा पोती होगी.:)

    रामराम.

    ReplyDelete
  24. हर जगह राजनीति का बोलबाला जो रहता है .....जब तक आम लोग इस बात को नहीं समझेंगे व्यापक विरोध प्रदर्शन यह बहिष्कार नहीं करेंगे तब तक यह खेल चलता रहेगा ....जिस दिन खेल के दीवानों के समझ में खेल राजनीति समझ आ जायेगी और वे देखना बंद कर देंगे उस दिन से खेल क्या होता है आयोजक प्रायोजक सबकी समझ में आ जायेगी ..लेकिन हमारी जनता में इतनी जागरूकता आएगी कहाँ से यही यक्ष प्रश्न है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आपने, सहमत हूं।
      आखिर ठगे भी तो हम ही जाते हैं।
      आभार

      Delete
  25. महेंद्र जी आपने सही लताड़ा और बहुत सही सवाल उठाये ........लेकिन बदकिस्मती से खेल , खेल भावना से नही राजनीति से प्रेरित हो गए हैं ..........रही बात मीडिया की तो उनका काम तो बस अपना चेनल चलाना और अपना उल्लू सीधा करना है .............सार्थक लेख बधाई आपको

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, बिल्कुल सही, अब पहले जैसी खेल भावना नहीं रही।
      आभार

      Delete
  26. जब सुनील गावस्कर कैप्टन हुआ करते थे और कपिलदेव की बालिंग...हमें तो तभी की क्रिकेट अच्छी लगती थी...आइ पी एल में मेरे पल्ले कुछ पड़ता ही नहीं...खिचड़ी टीम लगती है...पर अभी की स्थिति वाकई गम्भीर है...बेचारी भोली जनता !!

    ReplyDelete
    Replies
    1. ये तो सही बात है, खिचड़ी टीम।
      हाहाहहाहा
      आभार

      Delete
  27. एक दिन के 50 लाख कमाने वाले बंदे की भी निष्पक्ष जांच होनी ही चाहिए।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सहमत हूं, बिल्कुल जांच होनी चाहिए,
      मुझे लगता है कि होगी भी ।

      Delete

आपके विचारों का स्वागत है....