Sunday, 11 August 2013

पटरी पर आते ही डिरेल हुई चेन्नई एक्सप्रेस !



शाहरूख खान और दीपिका की बात बाद में करुंगा, पहले फिल्म के निर्देशक रोहित शेट्टी से पूछना चाहता हूं कि आप ने फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस क्या सोच कर बनाई है ? आप एक्शन मूवी बनाना चाहते थे, रोमांस दिखाना चाहते थे, कहानी पर फोकस था, काँमेडी के जरिए दर्शकों में स्थान बनाना चाहते थे ? आखिर आप करना क्या चाहते थे ? सच कहूं पिक्चर क्यों बनाई और किसके लिए बनाई गई, यही साफ नहीं है। बस फिल्म चल रही है, शाहरुख और दीपिका के दिवाने सीटी बजा रहे हैं, सबसे ज्यादा उत्तर भारत में दर्शक उस जगह पर ताली ठोंकते हैं, जहां फिल्म में तमिल भाषा में गुटरगूं हो रही है, जबकि ये संवाद उनकी समझ में भी नहीं आ रहा है। बहरहाल अगर फिल्म की कामयाबी का पैमाना ये है कि फिल्म सौ करोड़ के क्लब में शामिल हो गई ? या फिल्म की ओपनिंग 33 करोड़ से हुई है, फिर तो मुझे कुछ नहीं कहना है, लेकिन अगर बात मेरिट की हो, बात कलाकारों के प्रदर्शन की हो, बात कहानी की हो तो इस पैमाने पर यह फिल्म प्रशंसकों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी। हम यूं कहे कि पटरी पर आते ही डिरेल हो गई चेन्नई एक्सप्रेस तो गलत नहीं होगा।  

मैं तो फिल्म के बारे में एक सामान्य दर्शक के तौर पर ये बात कह रहा हूं। लेकिन बहुत सारे फिल्म समीक्षकों को मैने पढ़ा, ज्यादातर ने इस फिल्म को पांच में से सिर्फ दो स्टार दिए हैं। माफ कीजिएगा मैं नौसिखिए समीक्षकों की बात नहीं कर रहा हूं, मैं प्रोफेशनल्स की बात कर रहा हूं, जो फिल्म और उसकी तकनीक को बखूबी समझते हैं। वैसे तो आजकल नौसिखिए भी समीक्षा करने लगे हैं, जो सिनेमा का "सी"  जानते नहीं और चेन्नई के "सी" की बात कर पांच में चार स्टार दे रहे हैं। बहरहाल इसमें इन बेचारे गरीब समीक्षकों की कोई गलती नहीं है, दरअसल फिल्म का बैनर ही इतना बड़ा है कि उन्हें लगता है कि फिल्म को अगूंठा दिखाया तो कहीं मीडिया वाले उन्हें ही ना अगूंठा दिखा दें। फिर रोहित शेट्टी का निर्देशन, हीरो शाहरुख खान और हिरोइन दीपिका हो तो भला कैसे कम स्टार दे सकते हैं। इतने बड़े-बडे नामों पर ही कुछ समीक्षक गदगद हो जाते हैं। खैर कुछ सी ग्रेड समीक्षक इसलिए भी फिल्म को चार पांच स्टार दे देते हैं कि क्योंकि उन्हें थियेटर में नींद बहुत अच्छी आई होती है।
 
मैं तो यही कहूंगा कि कुल मिलाकर चेन्नई एक्सप्रेस फिल्म की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। एक ख़ास दर्शक वर्ग को फ़िल्म जरूर पसंद आ सकती है, लेकिन इस फिल्म की कॉमेडी एक बड़े दर्शक वर्ग को बिल्कुल अपील नहीं कर पाई। अब इस फिल्म का जितना प्रमोशन शाहरूख खान ने किया है, उससे कुछ तो फायदा होना ही था। फिर कुछ इमोशनल कारण भी है, यानि शाहरुख की स्टार पावर के साथ ही ईद जैसे त्यौहार पर फिल्म दर्शकों के बीच आई है, इसलिए भी अच्छी ओपनिंग मिलनी ही थी। लेकिन मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि ये फिल्म उत्तर भारत यानि यूपी, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, मध्यप्रदेश में ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगी। अब अगर मैं फिल्म की खामियां गिनाने लगूं तो सच कहूं बात बहुत लंबी हो जाएगी, लेकिन मैं कुछ बातें जरूर कहूंगा जो एक सामान्य दर्शक को भी इसमे खटकती है।

मसलन कहानी के मुताबिक़ मीना, परेशानी में घिरी हुई है और उसे मदद की ज़रूरत है। लेकिन इस फिल्म मीना का रोल कुछ ऐसा बुना गया है, जिससे कहीं से लगता ही नहीं कि वो परेशानी में है, या फिर उसे किसी तरह की मदद की दरकार है। मतलब जो संदेश दर्शकों तक पहुंचना चाहिए था, शायद वो नहीं पहुंचा। इसके अलावा इस फिल्म का पूरा ड्रामा ही उलझा हुआ है। बात कहां चल रही है और कहां पहुंच जाती है, ये ही समझ से परे है। सबसे बड़ी खामी की अगर बात करूं तो इस फिल्म में ढेर सारे तमिल संवाद है। ये संवाद गैरतमिल भाषियों के समझ से परे हैं। उत्तर भारतीय दर्शकों को लगता है कि ये काँमेडी है, इसलिए वो वहीं ताली ठोकते रहते हैं, जबकि बात वहां कुछ और हो रही होती है। फिल्म मे तमिल कलाकारों की संख्या भी जरूरत से ज्यादा है, ये कलाकार उत्तर भारतीयों पर अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं। किसी भी फिल्म में रोमांस दर्शकों के लिए एक प्रिय विषय है। लेकिन इस फिल्म में रोमांस दर्शकों को बिलकुल अपील नहीं करता इसलिए वो इससे जुड़ ही नहीं पाए।


इसी तरह अगर बात अभिनय की करूं तो फिल्म में शाहरुख़ खान मुख्य किरदार में जरूर हैं। लेकिन कुछ जगह पर तो उनका अभिनय शानदार हैं, लेकिन काफी जगहों पर वो दर्शकों पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए। मसलन उम्र का प्रभाव उनके अभिनय और चेहरे पर दिखाई देने लगा है, यही वजह है कि कई स्थान पर उनका बड़ा थका हुआ सा चेहरा दर्शकों के सामने आया है। हां मैं दीपिका को फुल मार्क्स दूंगा। दीपिका ने अच्छा अभिनय किया है और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने में वो कामयाब रही हैं। खासतौर पर दीपिका तमिल अंदाज़ में संवाद बोलती हुई बहुत प्यारी लगी हैं। मैं कह सकता हूं कि उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया है और दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। इसके अलावा निकतिन धीर के लिए पिक्चर में करने को कुछ ख़ास था ही नहीं। वैसे उनका व्यक्तित्व काफी वज़नदार है लेकिन रोल कमज़ोर दिखा। दीपिका के पिता के रोल में सत्यराज साधारण रहे हैं, लेकिन पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में मुकेश तिवारी छाप छोड़ने में जरूर कामयाब रहे हैं। इस फिल्म में मुझे  'वन टू थ्री फ़ोर' गाना तो अच्छा लगा ही, इस गाने में तमिल अभिनेत्री प्रियदर्शिनी खूब जमी है।

लेकिन बतौर निर्देशक अगर रोहित शेट्टी की बात की जाए तो इस बार उनका प्रदर्शन मेरे हिसाब से तो बहुत ही निराश करने वाला रहा है। मेरे हिसाब से तो वो ना तो एक अच्छी कॉमेडी फ़िल्म बनाने में कामयाब हो पाए और ना ही चेन्नई एक्सप्रेस को एक रोमांटिक फ़िल्म के तौर पर जनता के बीच पेश कर पाए। वैसे उन्होंने ड्रामा को तो ठीक तरह से पेश कर लिया, लेकिन फ़िल्म की कहानी का ग़लत चुनाव, फ़िल्म में ढेर सारे तमिल संवाद और चेहरों का इस्तेमाल इसके व्यापार पर निश्चित रूप से गलत असर डालने वाला रहा है। विशाल-शेखर का संगीत अच्छा है लेकिन इसमें सुपरहिट होने की क़ाबिलियत नहीं है।

बहरहाल शाहरुख, दीपिका और रोहित के लिए खुश होने की बात ये जरूर है कि  शुक्रवार को रिलीज 'चेन्नई एक्सप्रेस' ने पहले दिन में रिकॉर्ड कलेक्शन किया। इस फिल्म ने 33 करोड़ रुपये की ओपनिंग की है। ईद के मौके पर रिलीज हुई शाहरुख खान की इस फिल्म को अब तक की उनकी सबसे अच्छी शुरूआत करने वाली फिल्म बताया जा रहा है। इस फिल्म ने सलमान खान की 'एक था टाइगर' को पीछे छोड़ दिया। बताते हैं कि एक था टाइगर फिल्म को पहले दिन 31 करोड़ 25 लाख रुपये की ओपनिंग मिली थी। शाहरूख के लिए ये खुशी काफी है, यही वजह है कि बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने कल रात अपने घर मन्नत में एक शानदार पार्टी दी। अपनी फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के शानदार आगाज की खुशी में हुई इस पार्टी में इंडस्ट्री के तमाम बड़े लोगों ने शिरकत की। रानी मुखर्जी, अनिल कपूर और राजकुमार, संतोषी समेत बॉलीवुड से जुड़े दिग्गज मन्नत पहुंचे। अमिताभ बच्चन ने तो बाकायदा ट्विट करके पार्टी में शामिल होने की खबर दी।


[  नोट : मुझे ये जरूर बताइयेगा कि मुझे आगे रुपहले पर्दे की समीक्षा करनी चाहिए या नहीं, मैंने पहली बार किसी फिल्म की समीक्षा लिखी है ]






18 comments:

  1. आप ने एक दम सही समीक्षा लिखी है.
    यह फिल्म यहाँ एमिरात में सिर्फ शाहरुख के कारण एक हफ्ते तक के टिकट बिकवा गई है.
    ईद से पहले वाले आखिरी रोज़ा पर शाहरुख खुद आए यहाँ और रोज़ा खोला...बहुत प्रोमोशन किये गए.कुछ उस का असर भी था ...दूसरी और कोई बड़े नाम की फिल्म एक साथ प्रतियोगिता में थी ही नहीं ...३-४ दिन के अवकाश का फायदा भी फिल्म को हुआ...हमने भी देखी ..शाहरुख ने बहुत ज्यादा ओवर एक्टिंग की है..अब उन्हें स्क्रीन पर देखना गवारा ही नहीं होता ..वो भी रोमांटिक रोल में !हह!...खैर..दीपिका ने अभिनय अच्छा किया है लेकिन कहानी गोल मोल है ..जबरदस्ती सारे फ़िल्मी मसाले भरे गए हैं ..मुझे तो सर पैर ही समझ नहीं आया कि ये फिल्म के ज़रिए दिखाना क्या चाह रहे हैं .अच्छी समीक्षा की है आप ने.दूसरे हफ्ते के कलेक्शन बताएँगे क्या हाल रहा..वैसे पहले हफ्ते में फिल्म की अच्छी कमाई हो ही गई होगी.

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    1. बिल्कुल सही।
      मैने फिल्म की समीक्षा जैसी भी की हो, लोकिन आपने पूरी तरह जमीनी हकीकत बताई है। पूरी तरह सहमत

      इस समय और किसी बड़े हीरो की फिल्म नहीं है मैदान में
      तीन चार दिन की छुट्टियां मिल गईं
      त्यौहार पर लोग मस्ती के मूड में होते ही हैं.
      सही बात है।

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  2. film ki sameeksha bahut badiya rahi story,direction,acting sabhi ko bakhoobi define kiya hai aapne ..abhar ..

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  3. बहुत उम्दा परफेक्ट समीक्षा ,,,

    RECENT POST : जिन्दगी.

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (12-08-2013) को गुज़ारिश हरियाली तीज की : चर्चा मंच 1335....में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. समीक्षा के सभी पहलुओं को बखूबी प्रस्तुत किया आपने

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  6. बकवास फिल्म है,आपकी समीक्षा से पूरी तरह से सहमत हूँ.

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  7. बहुत बढिया समीक्षा..

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  8. बढ़िया समीक्षा तो है..
    कई अखबारों के समीक्षकों से अच्छा लिखा है आपने...
    जारी रखिये..

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    1. शुक्रिया, मुझे आपके प्रोत्साहन से ताकत मिली है।
      आभार

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  9. बिल्कुल सही फरमाया आपने...! शाहरुख़ ख़ान को देखने की आदत हो गयी है... कि उनके हर emotional scene पर उनके facial expressions का अंदाज़ा पहले से ही हो जाता है! उन्हें अब कुछ अलग तरह की फिल्में करनी चाहिए...ऐसा हमें लगता है! दीपिका तो बढ़िया हैं ही... अपने रोल को बख़ूबी निभाया उन्होंने...

    ~सादर!!!

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