Thursday 25 October 2012

जी न्यूज : चोरी और सीनाजोरी !

कोल ब्लाक आवंटन में उद्योगपति नवीन जिंदल को मैं क्लीन चिट तो नहीं दे रहा हूं। हो सकता है पैसे और पहुंच के दम पर बहुत कुछ हेरा फेरी की गई हो, लेकिन ये सब जांच का विषय है। इस बीच आज स्टिंग आपरेशन का जो हिस्सा नवीन जिंदल ने प्रेस कान्फ्रेंस में जारी किया है, उससे अब जी न्यूज के संपादक का असली चेहरा जनता के बीच आ चुका है। स्टिंग आपरेशन में साफ-साफ जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी जिंदल ग्रुप के अधिकारियों से पैसे की डिमांड करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पहले तो 20 करोड़ रुपये की ही मांग की गई थी, बाद में कहा गया कि 20 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष पांच साल तक यानि पूरे 100 करोड़ रुपये। अच्छा ये पैसे किस बात के हैं, तो कहा जा रहा है कि इसके बाद जी न्यूज पर जिंदल के खिलाफ चल रही श्रंखला " काला पत्थर " को रोक दिया जाएगा। चोरी और सीनाजोरी की बात इसलिए कह रहा हूं कि जी समर्थक कुछ लोगों ने प्रेस कान्फ्रेंस में व्यवधान डालने की कोशिश की, जिससे नवीन जिंदल अपनी बात ना रख सकें। लेकिन जिंदल ने ना सिर्फ अपनी बात रखी, बल्कि उन्होंने स्टिंग का सीडी भी जारी किया।

बहरहाल आज का दिन मीडिया के लिए "काला दिन" है, लेकिन मैं कहता हूं कि ये एतिहासिक दिन है। काला दिन इस लिए एक जाने माने ग्रुप के संपादक सुधीर चौधरी को कैमरे पर पैसे मांगते देश और दुनिया ने देखा। सब ने देखा कि कोट पहने ये सख्स किस तरह सामने रखे खाने पीने के सामान का स्वाद लेते हुए बेशर्मी से पैसे की मांग कर रहा है। मैने लगभग 20 साल की पत्रकारिता में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के तमाम संपादकों के साथ काम किया है, लेकिन ऐसी घिनौनी हरकत करने वाला तो दूर, इस तरह की सोच भी संपादकों में नहीं देखी, पर जी न्यूज संपादक जिस तरह से पैसे मांगते दिखाई दिया, उसने पत्रकारिता की सारी मान मर्यादाओं को तार तार कर दिया। अच्छा जी न्यूज की बेशर्मी बताऊं आपको, जिस दौरान प्रेस कान्फ्रेंस चल रही थी, सभी चैनल दिखा रहे थे कि किस तरह सुधीर पैसे की मांग कर रहे हैं। वहीं जी न्यूज पर खुद सुधीर एंकरिंग करने आ गए और उल्टा जिंदल पर आरोप लगाया कि स्टिंग तो हमने किया कि किस तरह से औद्योगिक घराना खबर रोकने के लिए मीडिया को पैसे की लालच देता है। सुधीर इतनी ताकत से बात कर हैं तो ये बताइये वो आपके आफिस में आए थे, या आप वहां गए थे ? अव वाकई ज्यादा मत बोलिये, बहुत थू थू हो चुकी है मीडिया की।

हाहाहाह। वैसे सुधीर बाबू क्या हो गया है आपको ? कैसी कैसी बातें आन एयर कह रहे हैं ? वैसे सच बताऊं आप एंकरिंग के दौरान जितनी भी बातें कह रहे थे, आपकी बाडीलंग्वेज आपके साथ नहीं थी। साफ लग रहा था कि चोरी पकड़ी गई है और अब आप सफाई दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो आपके साथ खड़े समीर अहलूवालिया ही आपको देख कर परेशान नजर आ रहे थे,  बेचारे बहुत डरे सहमे से दिखाई दे रहे थे। उनके हाव भाव से लग रहा था कि वो आपकी बातों से सहमत नहीं है, आपको हैरानी की निगाह से देख रहे थे कि आप क्या क्या कहते चले जा रहे हैं। भाई मार्केटिंग के आदमी हैं, उनका काम है चैनल के लिए पैसे जुटाना। अब अगर उसकी आप किसी उद्योगपति के साथ इस स्तर तक बिगाड़ देगें तो बेचारे दूसरी जगह भी जाने के पहले सौ बार सोचेंगे। खैर आपकी बातें सुनकर मुझे हैरानी नहीं हुई। मैं सोच रहा था कि आपकी जगह कोई और भी होता तो वो क्या करता। जो आपने किया वो ही आपके और चैनल दोनों के लिए जरूरी है। अगर कुछ ना बोलते तो लगता कि चैनल ने इस आरोप को स्वीकार कर लिया है, इससे जी न्यूज ने जो वर्षों में एक साख बनाई थी उस पर धब्बा लगता। वैसे सुधीर चौधरी को तो ये दाग धोने में काफी वक्त लगेगा। बस उनके लिए थोड़ा "प्लस प्वाइंट" एक ही है कि पैसे की वो मांग जरूर कर रहे थे, लेकिन अपने लिए नहीं, पैसा चैनल के लिए मांग रहे थे। ये अलग बात है कि गंदा सौदा कर रहे थे। पैसे मिल जाते तो खबर रुक जाती, ये कहते सुना गया।               

हां आप सोच रहे होंगे कि आखिर आज के दिन को मैं एतिहासिक दिन क्यों बता रहा हूं ? तो जान लीजिए, पहली बार मैने देखा है कि एक चैनल के संपादक के खिलाफ हो रही प्रेस कान्फ्रेंस को सभी चैनलों ने पूरा लाइव प्रसारित किया है। आमतौर पर कम ऐसा होता है कि मीडिया पर आरोप लगे और चैनल उसे दिखाएं। मुझे याद है नीरा राडिया की टेप में एक न्यूज चैनल की सीनियर महिला संपादक नाम शामिल था। टेप में साफ था कि वो भ्रष्टाचार में शामिल मंत्री ए. राजा को संचार मंत्रालय ही दिलाने के लिए सियासी स्तर पर लाबिंग कर रही थीं। हर सख्श को इस महिला संपादक का नाम और उनकी कारगुजारी मालूम है। पर आज तक किसी भी चैनल ने कोई खबर नहीं दिखाई। प्रिंट मीडिया ने भी इनके बारे में एक लाइन नहीं प्रकाशित किया। इस महिला संपादक को लेकर जनता में इतना गुस्सा है कि अन्ना आंदोलन के दौरान ये इंडिया गेट पर एक शो करने पहुंची तो वहां लोगों ने नारेबाजी कर इतना विरोध किया कि ये वहां शो नहीं कर पाईं। तलाश किया जाए तो ऐसे कई उदाहरण और मिल जाएंगे, जब मीडिया पर गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन आज तक कभी चैनलों पर खबर नहीं दिखाई गई। पर सुधीर चौधरी का मामला कुछ हटकर है। आज देश भर में भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन सड़कों पर है। मीडिया नेताओं के भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है। ऐसे में अगर सुधीर के कारनामों की अनदेखी की जाती तो मीडिया की विश्वसनीयता पर उंगली उठती। लिहाजा आज सभी चैनलों ने ये दिखा कर साफ करने की कोशिश की कि भ्रष्टाचार में कोई भी शामिल हो, उसका चेहरा बेनकाब किया ही जाएगा। यही वजह है कि कुछ दिन पहले जी न्यूज के इस संपादक को ब्राडकास्टिंग एडीटर्स एसोसिएशन से बाहर कर दिया गया था।

बहरहाल ये मामला जल्दी सुलझता नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जिंदल ने ठान लिया है कि न्यूज चैनल को जो कुछ दिखाना हो दिखाए, वो बिजिनेस कर रहे हैं। कोई चोरी नहीं कर रहे हैं। उधर जी न्यूज को लग रहा है कि वो लगातार खबरें दिखाकर जिंदल ग्रुप को बेनकाब कर देगें। बहरहाल इसमें हार जीत किसकी होगी ये तो भविष्य बताएगा, लेकिन पूरे घटनाक्रम को देखें तो एक बात सामने आती है वो ये कि इससे पत्रकारिता की साख पर आंच आई है। अब जी न्यूज ने इस मामले को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। इसके लिए जिस तरह से सुधीर चौधरी खुद एंकरिंग कर अपनी सफाई दे रहे हैं, उससे चैनल की ही किरकिरी ज्यादा हो रही है। आप सब जानते हैं जब शेर को हमला करना होता है तो पहले वो पांच कदम पीछे हटता है, फिर पूरी ताकत से हमला करता है। लेकिन हमला करने का ये सामान्य नियम भी शायद जी न्यूज प्रबंधन को नहीं पता है। इस समय जीतना भी कीचड़ उछालेंगे छींटे जी न्यूज पर ही पड़ेगीं।

रोहित ने निराश किया 

आईबीएन 7 न्यूज चैनल के महत्वपूर्ण कार्यक्रम एजेंडा में बहस के दौरान वरिष्ठ पत्रकार रोहित बंसल का चेहरा भी सामने आया। मेरा मानना है कि जिंदल के स्टिंग में जो कुछ दिखाया गया है, उसमें सबकुछ शीशे की तरह साफ है। ऐसे में मीडिया से जुड़ा कोई भी व्यक्ति इसे जायज नहीं ठहरा सकता। लेकिन सक्रिय मीडिया से फिलहाल अलग हो चुके वरिष्ठ पत्रकार रोहित बंसल ने काफी निराश किया। जबकि बंसल इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया दोनों में ही बड़े पद पर रह चुके हैं, ऐसे में उनसे उम्मीद की जाती है कि वो निष्पक्ष होकर अपनी राय रखेंगे, लेकिन हैरानी हुई उन्होंने एक बार भी इस घटना की निंदा नहीं की। कुछेक बार तो वो सुधीर चौधरी के साथ खड़े दिखाई दिए। आईबीएन 7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष के जिस सवाल पर वो फंसते नजर आ रहे थे, उसका जवाब ये देकर किनारा कर रहे थे कि यहां मुझसे भी वरिष्ठ पत्रकार बैठे हैं। उनका इशारा जनसत्ता के संपादक ओम थानवी की ओर था। बहरहाल थानवी जी ने जरूर निष्पक्ष और सख्त राय रखी। उनके निशाने पर जी न्यूज तो रहा ही, जिंदल ग्रुप को भी उन्होंने नहीं बख्शा। मुझे लगता है रोहित बंसल को अपनी राय पर एक बार फिर गंभीरता से विचार करना चाहिए।   

     

 

36 comments:

  1. आम आदमी हैरान और परेशान ???
    शायद इसी को कहते है ..कोयले की दलाली
    में मुहँ काला :-(

    ReplyDelete
  2. aapka likha padh kar ek nai hi tasvir samne aati hai aap likhte bhi bahut hi rochak tarike se hain abhar
    rachana

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत दिनों बाद आप ब्लाग पर आई हैं।
      आपका बहुत बहुत आभार

      Delete
  3. इस समय जीतना भी कीचड़ उछालेंगे छींटे जी न्यूज पर ही पड़ेगीं। आपने सही कहा,,,,,

    RECENT POST...: विजयादशमी,,,

    ReplyDelete
  4. यह पकड़ी गई चोरी है, चोरी की अनोखी घटना नहीं...हमारे यहां राजनीतिक शक्ति के फॉरमेशन में राजनीतिक दलाल बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं और राजनीतिक दलाली में बड़ी संख्‍या में पत्रकार या छद्म पत्रकार लोग शामिल हैं...जैसे नेताओं के लिए बूथ लूटते-लूटते बाहुबली अपराधी एमएलए और एमपी बनने लगे वैसे ही सत्‍ता बनाने बिगाड़ने में अपना योगदान महत्‍वपूर्ण देख मीडिया में बैठे बहुत लोग विशेषकर मालिक लोग महत्‍वाकांक्षी हो रहे हैं...इस महत्‍वाकांक्षा की अलग अलग सही गलत अभिव्‍यक्तियां स्‍पष्‍ट या अस्‍पष्‍ट तौर पर दीख रही हैं..

    ReplyDelete
    Replies
    1. काफी हद तक मैं आपकी बातों से सहमत हूं..

      Delete
  5. महेंद्र जी ...आज ये सारा तमाशा लाइव टीवी पर हमने भी देखा है ......बहुत अजीब सा रहा सब कुछ .....जैसे पहले से ही सब कुछ तय किया गया हो

    ReplyDelete
    Replies
    1. हां जिंदल प्रेस कान्फ्रेंस कर जी न्यूज के संपादक की सीडी जारी की, जिसमें दिखाया गया है कि वो कैसे खबर रोकने के लिए पैसे की मांग कर रहे हैं।

      Delete
  6. जी 'पर एक धब्बा लग ही गया है जिसे धोना आसान नहीं होगा.वाकई यह एक शर्मनाक घटना है .

    ReplyDelete
    Replies
    1. मैं पूरी तरह समहत हूं आपकी बात से

      Delete
  7. बहुत अच्छा. पर देखता हूँ कि एक अजीब सा माहौल है कि आप मेरे लिए मुश्किल खड़े करें तो मैं आपके लिए. अब इस कार्यवाई से जिंदल अपनी गन्दगी से ध्यान हटाने में सफल रहेगा जैसा कि वह चाहता है. अब जी न्यूज़ के इस अनाचार पर चर्चा होगी..
    दलाली में मुंह काला हुआ ही करता है ..
    शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई..

    ReplyDelete
  8. Buck up Mahendraji, for your bold assertions about media.

    ReplyDelete
  9. Buck up mahendraji, for your bold assertions about media - zee here.

    ReplyDelete
    Replies
    1. ये सब आपके सानिध्य का असर है। वैसे इस ब्लाग पर मीडिया से संबंधित मसले ही हैं। आप को मेरे पुराने लेख पर भी आना चाहिए।

      Delete
  10. बढ़िया प्रस्तुति ||

    ReplyDelete
  11. lekh ko padhte hue apka is din ko aitihasik din kahna galat lag raha tha lekin poora padhne ke baad apke sath 100% sehmat hun.

    ReplyDelete
  12. बरहाल इस झगडे का शायद फायदा हो ​कि कोयला घोटाला ना दबे

    ReplyDelete
  13. आपकी बात से सहमत हूँ ... हमेशा की तरह आपका लेखन प्रभावित करता है ...
    सादर

    ReplyDelete
  14. मंहगाई गीत गाई घूस करे श्रृंगार ।
    घोटालों के घुंघरू बंध नाचे भ्रष्टाचार ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाहाहहा, बढिया
      बहुत बहुत आभार

      Delete

  15. इतिहास में इक प्रत्यय लगाके इतिहासिक शब्द बनता है और विज्ञान में इक लगाके विज्ञानिक ,समाज में इक लगाके समाजिक (स्रोत डॉ राम विलास शर्मा ).

    ReplyDelete
  16. बढ़िया प्रस्तुति !सटीक रिपोर्ट .

    ReplyDelete
    Replies
    1. ओह आपको कुछ लेख पसंद भी आते है..
      बहुत बहुत आभार

      Delete

आपके विचारों का स्वागत है....