Thursday 28 November 2013

खुलासा : सोशल मीडिया का असली चेहरा !

कोबरापोस्ट का खुलासा सोशल मीडिया का सच्च : आई.टी. कंपनियां किस तरह से पैसे के लिए इसे इस्तेमाल करके लोगों की इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रही है।लंबे समय तक चले अंडर कवर ऑपरेशन में कोबरापोस्ट ने खुलासा किया है कि किस तरह से आई.टी. कंपनियां देश भर में सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब की सहायता से नेताओं की लोकप्रियता को फर्जी तरीके से बढ़ाने के साथ साथ उनके विरोधी खेमे को बदनाम करने का काम धड्ड़ले से कर रही हैं।

कोबरापोस्ट के एक लंबे अंडर कवर ऑपरेशन ‘ब्लू वायरस’ में यह बात सामने आई है कि लगभग दो दर्जन आई.टी. कंपनियां देश भर में सोशल मीडिया पर ऑनलाइन रेपोटेशन मैंनेजमेंट का गोरख धंधा चला रही है। ये पैसे लेकर अपने ग्राहकों के लिए फेसबुक और ट्विटर पर फर्जी तरीके से फैन फॉलोविंग बढ़ाने और विरोधियों को बदनाम करने का काम करती है इनके लिए किसी शख्सियत की ऑनलाइन प्रतिष्ठता बढ़ाना या उनकी इज्जत उतारना बस एक क्लिक करने भर का काम है इनके ग्राहकों में नेता, राजनितिक पार्टियां, व्यापारिक घराने, एन.जी.ओ.  और घोटालों में फंसे नौकरशाह शामिल हैं। कोबरापोस्ट के एसोसिएट एडिटर  सैयद मसरूर हसन ने विरोधी पार्टी के एक कल्पित नेता के कारिंदा बनकर इन आई.टी कंपनियों से कहा कि नेताजी विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर अपनी छवि बनाना चाहते हैं। इसके साथ साथ अपने विरोधी नेता की इज्जत उतारना चाहते हैं। उनका उद्देश्य आने वाले विधानसभा चुनाव अच्छे फासले से जीतना है ताकि वे पार्टी अध्यक्ष का विश्वास भी हासिल कर सके और लोकसभा टिकट उनकी झोली में आ जाए। इससे उनका केबिनेट मंत्री बनने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। आपको मुंहमांगा पैसा मिलेगा।

 इन सभी कंपनियों ने नेताजी को चुनाव जिताने के लिए कई तरह के कामों को अंजाम देने की पेशकश की। इन सभी सेवाओं का सार इस प्रकार है:- 
Ø वे नेता जी के फेसबुक पेज, वेबसाइट पर फर्जी प्रोफाइल बना कर या खरीद कर लाखों की संख्या में लाइक्स बनाने और इस तरह फर्जी फॉलोवर बनाने का काम करेगें।
Ø अगर नेताजी के खिलाफ कोई गलत टिप्पणी करता है तो उस टिप्पणी को हटा देगें।
Ø वे नेताजी के विरोधी खेमे की इज्जत उतारेगें।
Ø इस तरह की गलत टिप्पणियों को दूसरे देशों जैसे अमेरिका, कोरिया इत्यादि से पोस्ट करेगें ताकि इसका पता ना चल सके कि यह काम कहां से किया जा रहा है।
Ø इस तरह के प्रचार के लिए ऐसे कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया जाएगा जिन्हें जोड़कर बनाया गया हो और काम खत्म होने के बाद उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा।
Ø इस तरह के काम के लिए वे प्रॉक्सी कोड का इस्तेमाल करेगें ताकि उनकी लोकेशन बदलती रहे और पता ना चल सके की यह काम कहां से हो रहा है।
Ø नेताजी और उनकी पार्टी के बारे में मुसलमानों के विचारों को बदलने के लिए वे मुसलमानों की फर्जी प्रोफाइल बनाएगें।
Ø वे नेता जी के प्रचार के लिए विडियो बनाएगें और उसे यूट्यूब पर अपलोड कर वाइरल करेगें।
Ø मतदान केंद्र पर पकड़ बनाने के लिए वे नेताजी को मतदाताओं के व्यवसाय, रिहाइश, उम्र, आमदनी, जाति और धर्म के हिसाब से आंकड़े देगें।
Ø वे बाहरी देशों के आई.पी एड्रेस का इस्तेमाल करेंगे ताकि वो नेताजी के ऑनलाइन प्रचार के लिए या उनके विरोधी खेमे के खिलाफ उल्टा प्रचार करने के लिए जो भी सामग्री सोशल मीडिया पर प्रकाशित करेगें उसके स्त्रोत का पता ना लग पाए।
Ø दूसरे लोगों के कंप्यूटर को हैक कर उसके आई.पी का इस्तेमाल इस तरह के गलत प्रचार के लिए करेगें।
Ø ट्राय के नियमों से बचने के लिए वे इंटरनेट पर एकमुश्त सैकड़ो हजारों की संख्या में एस.एम.एस भेजेगें। इसके लिए शॉर्ट कोड का इस्तेमाल करेगें ताकि भेजने वाले की पहचान पता न लग पाए।
Ø अपने काम का भुगतान वो सिर्फ कैश में लेंगे ताकि यह पता लगाना मुश्किल हो जाए कि उन्होंने नेताजी के कहने पर यह सब काला कारनामा किया था।

इन सब आई.टी से जुड़े प्रोफेशनल लोगों ने ऊपर जो जो कारनामे करने का वादा कोबरापोस्ट के खोजी पत्रकार सैयद मसरूर हसन से किया था वह सब उन कारनामों के सामने फीका पड़ जाता है जो उन्हीं जैसे पेशेवर लोगों ने करने को कहा। लगता है मानो हम किसी अपराधी से बात कर रहे हैं।

एक ऐसे ही प्रोफेशनल बिपिन पठारे है जो कोबरापोस्ट की छानबीन में सबसे धूर्त और निर्मम व्यक्ति के रूप में उभरा है। पठारे पैसे के लिए किसी भी हद तक नेताजी की मदद करने के लिए तैयार है, मसलन वह हमें मतदान केंद्रों के अनुसार मतदाताओं की जानकारी देने को तैयार है। यानि किस भाषा का, किस जाति का, किस धर्म का मतदाता किस गली में रहता है। उदाहरण के लिए इस तरह की जानकारी से वह हमें मुस्लिम मतदाताओं को मतदान से रोकने में मदद कर सकता है। इसके लिए वह दंगे की अफवाह फैलाने और आतंक फैलाने के लिए हैंड ग्रेनेड भी फोड़ सकता है। इसका सीधा सा मतलब है कि मुसलमान मतदाताओं के बदले फर्जी वोट डाले जा सकते हैं। उसका दावा है कि उसने प्रवीन ज़ारा नाम के एक नेता को चुनाव जिताया है। 

चलिए यह कैसे होता है हम उसी की जुबानी सुन लें:  “इधर प्रवीन ज़ारा जीत गया ना…  उधर हमलोगों ने क्या किया था मालूम है... एक एक जगह पे मुस्लिम वोट थे मुस्लिम तो नहीं डालेगें हमें मालूम  था पक्का … उधर 60% जो मुस्लिम वोट थे …  हमलोग ने कैसा किया उन्हें उधर दंगा किया …  एक थोड़ा सा हैंड बम होता है … बम वगैरह वो सब फोड़ा उधर उनके ही लोगों ने …  वहां कोई बाहर नहीं आया …  उनका 60% वोट आ गया … ये सब strategy  है ना ”. 

 आशा है निष्पक्ष चुनाव के बड़े-बड़े दावे करने वाला चुनाव आयोग यह सब सुन रहा होगा कि बिपिन पठारे   जैसे लोग किस प्रकार से अल्पसंख्यकों के मताधिकार का हनन कर रहे हैं।
 इसी तरह अभिषेक कुमार राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव से पहले एक बहुत ही अवमाननाजनक दुष्प्रचार करने की बात कर रहा है। वह दावा कर रहा है कि वह सोशल मीडिया पर मोदी के प्रचार का काम कर रहा है। और उसने हसन को यह सब अपने कंप्यूटर पर भी दिखाया।कोबरापोस्ट ने जिन कंपनियों के काले कारनामे को उजागर किया है उनमें से कई कंपनियां नरेन्द्र मोदी और भाजपा के लिए काम कर रही हैं।

ये कंपनियां जैसा दावा कर रही थी उसे परखने के लिए हमने प्रियदर्शन पाठक से मरक्यूरी एविएशन के फर्जी नाम से एक कंपनी के खिलाफ दुष्प्रचार करने का सौदा तय किया। यह सौदा 92,000 रूपए में तय हुआ। पाठक ने वाकई यह काम कर दिखाया। उसने मरक्यूरी एविएशन की वेबसाइट और तमाम अन्य वेबसाइटों पर हर तरह का दुष्प्रचार किया। जैसे कंपनी अपने यात्री को ठगती है, वह मनी लॉड्रिंग के काम में लगी हुई है, वह अपने संसाधनों को आतंकवाद के कामों में लगा रही है। कंपनी की वेबसाइट पर धमकी भरे मेल भी डाली गई। इस प्रचार को प्रभावी बनाने के लिए मजेदार कार्टूनों का जमकर इस्तेमाल किया गया है। पाठक को हमने 42,000 रूपए दो किस्तों में दिए जो उसने खुफिया कैमरे के सामने गिने। पाठक ने हमें सोशल मीडिया पर इस दुष्प्रचार के प्रिंटआउट भी दिए हैं।

इनमें से ज्यादातर कारनामे भारतीय दंड संहिता, आई.टी.एक्ट 2000, इनकम टैक्स एक्ट 1951 का उल्लंघन है। इन कानूनों के अनुसार आपत्तिजनक सामग्री या कार्टूनों का प्रकाशन मानहानि है, यह आई.पी.सी के तहत दंडनीय अपराध है। इंटरनेट कनेक्शन या डोमेन नेम के लिए फर्जी पहचानपत्र का उपयोग करना धोखाधड़ी है और आई.पी.सी की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय भी है। इसी तरह से हैकिंग भी आई.टी एक्ट की धारा 66 के तहत दंडनीय है। अल्पसंख्यकबहुल क्षेत्र में बम विस्फोट करना या दंगों की अफवाह फैलाकर लोगों को मताधिकार से वंचित करना, मतदान केंद्रों पर कब्जा करना, आर.पी.ए. एक्ट 1951 की धारा 125 और 135A के तहत दंडनीय है। मतदान केंद्रों को लूटने की चर्चा करना या वोटों को खरीदना आई.पी.सी की धारा 120B के तहत दंडनीय है।

ये सब कानूनी बातें हैं लेकिन सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल घृणा फैलाने और साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काने के लिए किया जा रहा है। सोशल मीडिया का यह डरावना चेहरा बार बार नजर आ रहा है। भले वह मुजफ्फरनगर के दंगे हों या पूर्वोत्तर के प्रवासियों का भारत के कई शहरों से पलायन हो, समाज के ताने बाने को तार तार करने वाली इन घटनाओं में सोशल मीडिया की भूमिका अब पूरे देश के लिए चिंता का सबब बनते जा रही है। इसकी चर्चा न केवल सरकारी महकमों बल्कि समाचार माध्यमों में भी खूब होने लगी है।

ऑपरेशन ब्लू वायरस में जिन आई.टी कंपनियों के काले कारनामों को उजागर किया गया है उनके खिलाफ गहरी छानबीन होना जरूरी है। उनके खिलाफ उचित कानूनी कारवाई की जानी चाहिए। समय आ गया है कि सरकार इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हो और एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में काम करे जो पूरी तरीके से सोशल मीडिया के दुरूपयोग को रोकने में कामयाब हो लेकिन इसके साथ ही विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी बचाए रखा जाए।  इस बात को बीते अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है जब सोशल मीडिया पर नेताओं पर टिप्पणी के आरोप में महाराष्ट्र की दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह से आंध्र प्रदेश में एक नेता के चित्र फेसबुक पर डालने के जुर्म में एक PUCL  कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने रामपुर के एक दलित लेखक को आई.एस अधिकारी दुर्गा नागपाल के निलंबन पर सवाल उठाने पर गिरफ्तार कर लिया था।

 कोबरापोस्ट के इस ऑपरेशन ‘ ब्लू वायरस’ में एक बात और उभर कर आई है। सोशल मीडिया में प्रचार के मामले में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा सबसे आगे है और साथ में उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी भी। जिनके लिए दर्जनों कंपनियां दिन रात काम कर रही है। सोशल मीडिया पर जुटाई गई यह लोकप्रियता कितनी विश्वसनीय है यह ऑपरेशन ब्लू वायरस से साफ हो जाता है बल्कि ऐसा झूठा प्रचार करने में लगे TRIAMS  के त्रिकम पटेल ने यह बात स्वीकार की है कि यदि यह बात जनता को पता लग जाए तो उसका भरोसा सोशल मीडिया पर परवान चढ़ी लोकप्रियता से हमेशा के लिए उठ जाएगा। त्रिकम पटेल की जुबानी सुनिए “ कहीं न्यूज चैनल को पता चल गया... कि भई ये लोग मंत्री लोग ऐसे मार्केटिंग कर रहे हैं.... जबरदस्ती मार्केटिंग कर रहा है.... जबरदस्ती ऐसे मार्केटिंग करता है… तो लोगों को दिल उतर जाता है.. ” त्रिकम पटेल की मानें तो बैंगलौर की आई.टी कंपनियों को 3% की आमदानी राजनीतिक पार्टियों के प्रचार कार्यों से हो रही है जिसमें भाजपा  का बहुत बड़ा योगदान है।

ऑपरेशन ब्लू वायरस के खुलासे से एक निर्विवाद निष्कर्ष निकलता है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सामाजिक हितों के बजाय समाज को गुमराह करने में अधिक हो रहा है।

कोबरापोस्ट से साभार 

17 comments:

  1. पैठ पठारे ले बना, लगा निहायत धूर्त |
    नाजायज तरकीब से, करे समस्या पूर्त |
    करे समस्या पूर्त, वायरस लाय तबाही |
    यह काला व्यापार, चीज देता मनचाही |
    साधुवाद हे मित्र, तथ्य रखते जो सारे |
    काम करे कानून, ख़तम कर पैठ पठारे ||

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    1. बहुत बढिया, बहुत बढिया

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    2. बन्दा पैसा पाय के, रहा आत्मा बेंच |
      रन्दा घोर चलाय के, ठोक रहा खुर-पेंच |
      ठोक रहा खुर-पेंच, सुपारी-पान चबाता |
      करता काम तमाम, सामने जो भी आता |
      चमक उठा व्यवसाय, रहा जो पहले मन्दा |
      देता चरित बनाय, करे अच्छा भी गन्दा ||

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  2. मेनस्ट्रीम मीडिया और दिल्ली सल्तनत अब बुरी तरह घबरा चुकी है. कम से कम यहाँ मेरे जैसों की सुनवाई और बात रखने की आज़ादी तो है. दुष्प्रचार का काम तो मुख्यधारा का मीडिया भी अच्छी तरह करता है. कल कांची शंकराचार्य मामले में यह साफ़ हो गया. यह एकमात्र मीडिया है जिसमे खुद जनता और युवा तय करते हैं की उन्हें क्या सुनना देखना पढना है, अधिकतर कंटेंट भी वही प्रसारित करते हैं. जो सोच रहे हैं की झूठे स्ट्रिंग और आरोपों से इसके आसपास जाल बुनेंगे और बाद में फांस कर इसपर भी नियंत्रण कर लेंगे वे अपना हाथ ही जलाएंगे. लोगों के मुंह खून लग चूका है और मीडिया दल्लों का सच सामने आ चूका है.

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  3. महेन्द्र जी नमस्कार ....हर तरफ हैरानी ..हर तरफ परेशानी ...एक सीधा -साधारण ,अच्छा नागरिक क्या करे ....कृपया इस पर भी रौशनी डालें !
    हम सब को शुभकामनायें!

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    1. सर नमस्ते..
      सच में कई बार सोचता हूं कि आम आदमी वाकई इस हालात में क्या करे ...

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  4. बहुत बढिया...सही कहा..

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 30/11/2013 को मेरा ये मन पंछी बन उड़ जाता है...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 052)
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  6. Replies
    1. जी वाकई हैरान करने वाली बात है..

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  7. कोबरा पोस्ट व तहलका का आपस में क्या सम्बन्ध है? दोनों कांग्रेस के खिलाफ़ काम करते नहीं देखे गये?

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    1. बात क्या हो रही है आप क्या कह रहे हैं ....

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  8. baat ho rahi hai kobra post ki?
    main inki asliyat ke baare me keh raha hoon?

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आपके विचारों का स्वागत है....